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बात हमारी बड़े पते की,
गौर होना चाहिये,
आ गया फागुन मेला,
अब तो शोर होना चाहिये,
बात हमारी बड़े पते की ॥

रंग रंगीला फागुन मेला,
सारे खाटू धाम चलो,
सारे खाटू धाम चलो,
लेकर के निशान हाथ में,
तुम बाबा की ओर बढ़ो,
तुम बाबा की ओर बढ़ो,
इस फागुन में हल्ला थोड़ा,
और होना चाहिये,
बात हमारी बड़े पते की,
गौर होना चाहिये,
आ गया फागुण मेला,
अब तो शोर होना चाहिये,
बात हमारी बड़े पते की ॥

खाटू वाला इस मेले में,
सब पे प्यार लुटायेगा,
सब पे प्यार लुटायेगा,
‘शुभम रूपम’ भक्तों के संग में,
वो भी रंग उड़ायेगा,
वो भी रंग उड़ायेगा,
श्याम धणी के जयकारे का,
जोर होना चाहिए,
बात हमारी बड़े पते की,
गौर होना चाहिये,
आ गया फागुण मेला,
अब तो शोर होना चाहिये,
बात हमारी बड़े पते की ॥

बात हमारी बड़े पते की,
गौर होना चाहिये,
आ गया फागुन मेला,
अब तो शोर होना चाहिये,
बात हमारी बड़े पते की ॥

आ गया फागुन मेला: भजन का गहन अर्थ और विस्तृत व्याख्या

“आ गया फागुन मेला” भजन केवल फागुन के त्यौहार की खुशी का वर्णन नहीं करता, बल्कि इसमें श्याम बाबा की भक्ति, आत्मिक जागरण, और भक्तों के बीच प्रेम व सामूहिकता का संदेश छिपा है। भजन के प्रत्येक शब्द में आध्यात्मिकता और भक्ति का गहरा अर्थ है। यहाँ इस भजन की विस्तृत और गहन व्याख्या की गई है:


बात हमारी बड़े पते की, गौर होना चाहिये

गहरी व्याख्या:

  • बात हमारी बड़े पते की:
    यहाँ “पते की बात” का अर्थ है एक ऐसा संदेश, जो जीवन का उद्देश्य और दिशा स्पष्ट करता है।
    यह पंक्ति भक्तों को ध्यान आकर्षित करने का संकेत देती है कि जो कुछ भी कहा जा रहा है, वह साधारण नहीं है। यह भजन हमें याद दिलाता है कि श्याम बाबा के प्रति भक्ति और फागुन के उत्सव की महत्ता को समझना आवश्यक है।
  • गौर होना चाहिए:
    इसका मतलब है कि इस दिव्य अवसर पर हमें अपने ध्यान को बाबा की महिमा पर केंद्रित करना चाहिए। यहाँ “गौर” का तात्पर्य केवल सतर्कता नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक जागरूकता से है।

यह पंक्ति बताती है कि फागुन केवल एक त्यौहार नहीं है, यह आत्मा को जागृत करने का समय है।


आ गया फागुन मेला, अब तो शोर होना चाहिये

गहरी व्याख्या:

  • आ गया फागुन मेला:
    फागुन मेला केवल एक भौतिक उत्सव नहीं है। यह भक्तों के जीवन में आनंद, उमंग, और अध्यात्म की तरंग लाता है। यह समय है, जब भक्त अपने मन के द्वार खोलकर, रंगों की भांति भक्ति में रंग जाते हैं।
    यह मेला प्रतीक है जीवन में सजीवता और ऊर्जा का।
  • अब तो शोर होना चाहिए:
    यह “शोर” केवल बाहरी उत्सव का शोर नहीं है। यह शोर हमारे भीतर के मौन को तोड़कर, भक्ति के नए आयाम खोलने का संकेत है। भक्तों को अपने मन की सीमाओं को तोड़कर, अपने पूरे अस्तित्व से श्याम बाबा की महिमा गानी चाहिए।

रंग रंगीला फागुन मेला, सारे खाटू धाम चलो

गहरी व्याख्या:

  • रंग रंगीला फागुन मेला:
    फागुन का मेला, जिसे होली के समय खाटू धाम में मनाया जाता है, रंगों का मेला है। यह रंग केवल बाहरी रंग नहीं हैं, बल्कि भक्तों की आत्मा को रंगने वाले दिव्य रंग हैं। हर रंग जीवन के एक पहलू का प्रतीक है।
    • लाल: प्रेम और ऊर्जा का प्रतीक।
    • पीला: ज्ञान और शांति का प्रतीक।
    • हरा: संतुलन और विकास का प्रतीक।
    • नीला: विश्वास और भक्ति का प्रतीक।
  • सारे खाटू धाम चलो:
    यहाँ खाटू धाम केवल एक स्थान नहीं है। यह आत्मा की उस अवस्था का प्रतीक है, जहाँ हम पूर्ण रूप से श्याम बाबा में विलीन हो जाते हैं। भक्तों को अपने भीतर के हर संशय को छोड़कर, बाबा की ओर बढ़ना चाहिए।

लेकर के निशान हाथ में, तुम बाबा की ओर बढ़ो

गहरी व्याख्या:

  • लेकर के निशान हाथ में:
    निशान (झंडा) खाटू मेले की एक प्रमुख परंपरा है। यह निशान बाबा के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। निशान को लेकर चलना, यह दर्शाता है कि हम अपने अहंकार और सांसारिक मोह को त्यागकर बाबा के चरणों में समर्पित हो रहे हैं।
  • तुम बाबा की ओर बढ़ो:
    यह पंक्ति शारीरिक यात्रा का नहीं, बल्कि आत्मिक यात्रा का आह्वान करती है। “बाबा की ओर बढ़ना” का मतलब है, अपने जीवन के हर कार्य को बाबा के चरणों में अर्पित करना।

इस फागुन में हल्ला थोड़ा, और होना चाहिये

गहरी व्याख्या:

  • हल्ला थोड़ा और होना चाहिए:
    यह हल्ला भक्तों की भक्ति और उत्साह का प्रतीक है। इसे सिर्फ शोर-शराबे के रूप में न देखें। यह जीवन की हर बाधा को तोड़कर, बाबा के प्रति अपनी आंतरिक पुकार को तेज करने का आह्वान है।

फागुन का समय ऐसा है, जब भक्त अपने भीतर की मौनता को तोड़कर, अपनी भक्ति की ऊर्जा को चारों दिशाओं में फैलाते हैं।


खाटू वाला इस मेले में, सब पे प्यार लुटायेगा

गहरी व्याख्या:

  • खाटू वाला:
    यहाँ खाटू श्यामजी को उस सर्वशक्तिमान के रूप में दर्शाया गया है, जो हर भक्त को समान प्रेम देते हैं।
    बाबा का यह प्यार न केवल आध्यात्मिक है, बल्कि यह भक्तों के कष्टों को हरने और उनके जीवन में सकारात्मकता लाने का प्रतीक है।
  • सब पे प्यार लुटायेगा:
    यह पंक्ति हमें सिखाती है कि बाबा की कृपा और प्रेम का कोई अंत नहीं है। जो भी उनके दरबार में आता है, उसे उनका आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है।

‘शुभम रूपम’ भक्तों के संग में, वो भी रंग उड़ायेगा

गहरी व्याख्या:

  • ‘शुभम रूपम’ भक्तों के संग में:
    यहाँ “शुभम रूपम” का अर्थ है, शुभता और पवित्रता। जब भक्त एकत्र होते हैं, तो उनकी संगति एक पवित्र ऊर्जा का निर्माण करती है। इस पंक्ति का अर्थ है कि बाबा स्वयं इस पवित्र संगति में उपस्थित होते हैं।
  • वो भी रंग उड़ायेगा:
    यह गहरी प्रतीकात्मकता है। बाबा खुद भी भक्तों के साथ उनके उत्सव में भाग लेते हैं। यह दर्शाता है कि भक्त और भगवान के बीच कोई दूरी नहीं है।

श्याम धणी के जयकारे का, जोर होना चाहिए

गहरी व्याख्या:

  • श्याम धणी के जयकारे:
    यह पंक्ति बाबा की महिमा का गान करने का आह्वान है। जयकारे हमारे भीतर की नकारात्मकता को खत्म करते हैं और भक्ति की ऊर्जा को बढ़ाते हैं।
  • जोर होना चाहिए:
    इसका अर्थ है कि हमारी भक्ति केवल भीतर तक सीमित न रहे, बल्कि हमारी भक्ति का प्रकाश दूसरों को भी प्रेरित करे।

निष्कर्ष:

“आ गया फागुन मेला” भजन केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक संदेश है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में भक्ति, प्रेम, और आनंद को अपनाना चाहिए।

  • यह भजन बताता है कि फागुन मेला केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भगवान के साथ आत्मिक मिलन का अवसर है।
  • बाबा के प्रति पूर्ण समर्पण और भक्ति ही हमारे जीवन को पूर्णता प्रदान कर सकती है।

फागुन का मेला रंगों, भक्ति, और उत्सव का वह अद्भुत मिश्रण है, जो जीवन को अर्थ और उमंग से भर देता है।

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