- – गणपति जी के आगमन से खुशियां मनाने का संदेश है और सभी से मिलकर उनका स्वागत करने को कहा गया है।
- – गणपति को देवों में सबसे बड़ा माना गया है और उन्हें सबसे पहले पूजा जाता है।
- – गणपति की करुणा और उनके चरणों को पावन बताया गया है, जिनके चरणों में झुकने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- – गणपति को चतुर्भुज और कलेश काटने वाला बताया गया है, जिनकी महिमा ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी करते हैं।
- – गणपति को मोदक खिलाने और थाल पूजा मिलकर सजाने का आह्वान किया गया है।
- – गीत में प्रेम प्रकाश जी दुबे द्वारा गणपति की महिमा का सुंदर वर्णन किया गया है।

आ गए गणपति खुशियां मनाइये,
गौरा के लाल को मिलकर मनाइये,
गौरा के लाल को मिलकर मनाइये,
शंकर के लाल के मोदक खिलाइये,
सर चरणों में झुका जो चाहे पाइये,
गौरा के लाल को मिलकर मनाइये।।
देवों में बड़े कहलाते है ये,
सबसे पहले ही पूजे जाते है ये,
थाल पूजा के सब मिलकर सजाइये,
थाल पूजा के सब मिलकर सजाइये,
गौरा के लाल को मिलकर मनाइये,
गौरा के लाल को मिलकर मनाइये।।
बड़ी करुणा करे गणपति लम्बोदर,
चरण इनके पड़े होता पावन वो घर,
करो स्वागत इनका घर में बिठाइये,
करो स्वागत इनका घर में बिठाइये,
गौरा के लाल को मिलकर मनाइये,
गौरा के लाल को मिलकर मनाइये।।
है चतुर्भुज गणेश काटे सबके कलेश,
कहते है सभी ब्रम्हा विष्णु महेश,
‘गिरी’ बड़े प्रेम से महिमा इनकी गाइये,
‘गिरी’ बड़े प्रेम से महिमा इनकी गाइये,
गौरा के लाल को मिलकर मनाइये,
गौरा के लाल को मिलकर मनाइये।।
आ गए गणपति खुशियां मनाइये,
गौरा के लाल को मिलकर मनाइये,
गौरा के लाल को मिलकर मनाइये,
शंकर के लाल के मोदक खिलाइये,
सर चरणों में झुका जो चाहे पाइये,
गौरा के लाल को मिलकर मनाइये।।
गायक – प्रेम प्रकाश जी दुबे।
