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आधु आधु पंथ निवन पथ मोटो राजस्थानी भजन लिरिक्स – Aadhu Aadhu Panth Nivan Path Moto Rajasthani Bhajan Lyrics – Hinduism FAQ

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  • – जीवन में सही मार्ग (पंथ) का चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो साधु संगत और भजन के बिना संभव नहीं।
  • – नीवन (विनम्रता) का महत्व बताया गया है, जो माता-पिता, धरती माता, गुरुजी, सत्संग, सूर्यदेव और देवताओं के प्रति होनी चाहिए।
  • – साधु संगत और भजन से ही मनुष्य भटकाव से बचकर सच्चे मार्ग पर चल सकता है।
  • – गुरु और सत्संग की महत्ता पर जोर देते हुए कहा गया है कि इनके बिना मोक्ष या उद्धार संभव नहीं।
  • – भक्ति और साधु संगत से जीवन के भ्रम और कष्ट दूर होते हैं तथा आत्मा को शांति मिलती है।
  • – यह श्लोक जीवन के आध्यात्मिक मूल्यों को समझाने और भक्ति मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

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आधु आधु पंथ निवन पथ मोटो,
साधु संगत वाली करिया,
विना भजन कुन तिरिया।।

श्लोक – नीवन बड़ी संसार में,
नही निवे सो निस,
निवे नदी रो रुखड़ो,
रेवे नदी रे बीसो बिस,
निवे आम्बा आम्बली,
निवे दाड़म डाल,
अरिंड बिसारा क्या निवे,
ज्यारी ओसी कहिजे आस।



मूल कमल में चार चौकी,

गणपत आसान धरिया।
आसान धर अखंड होये बैठा,
जप जम्पा धरिया ओ।।

साधु भाई बिना भजन कुण तरिया,
आदु आदु पंथ निवन पथ मोटो,
साधु संगत वाली करिया,
विना भजन कुन तिरिया।।



पहली रे नीवन मारी मात पिता ने,

उत्पुत पालन करिया।
बीजी रे नीवन मारी धरती माता नी,
जिन पर पगला धरिया ओ।।

साधु भाई बिना भजन कुण तरिया,
आदु आदु पंथ निवन पथ मोटो,
साधु संगत वाली करिया,
विना भजन कुन तिरिया।।



तीजी रे निवन मारा गुरुजी नी,

सर पर हतपन धरिया।
चौथी नीवन मारी,
सतरी संगत नी,
जिन में जाए सुधरिया।।

यह भी जानें:  भजन: अपनी शरण में रखलो मां - Bhajan: I - Hinduism FAQ

साधु भाई बिना भजन कुण तरिया,
आदु आदु पंथ निवन पथ मोटो,
साधु संगत वाली करिया,
विना भजन कुन तिरिया।।



नीवन करु मारा सूर्यदेव नी,

सकल उजाला करिया।
घणो रे नीवन मारा,
अन रे देव नी,
जिन सु ओदर भरिया ओ।।

साधु भाई बिना भजन कुण तरिया,
आदु आदु पंथ निवन पथ मोटो,
साधु संगत वाली करिया,
विना भजन कुन तिरिया।।



मैहर हुई मारा गुरुपिरो री,

होई इंद्र नी वरीया।
अमृत बूंदा वर्षण लागी,
मान सरोवर भरिया।।

साधु भाई बिना भजन कुण तरिया,
आदु आदु पंथ निवन पथ मोटो,
साधु संगत वाली करिया,
विना भजन कुन तिरिया।।



विना पाल भव सागर भरिया,

घणा डूबा थोड़ा तरिया।
गुरु शरणे माली लखमोजी बोले,
भूल भर्म सब टलिया हो।।

साधु भाई बिना भजन कुण तरिया,
आधु आधु पंथ निवन पथ मोटो,
साधु संगत वाली करिया,
विना भजन कुन तिरिया।।


भजन गायक – श्री श्याम पालीवाल,
तथा श्रवण सिंह राजपुरोहित द्वारा प्रेषित


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