- – यह गीत श्याम रंग (भगवान कृष्ण) की भक्ति और उनके प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति है।
- – गीत में भक्त अपने मन की मुराद पूरी होने और श्याम रंग की कृपा की प्रार्थना करता है।
- – भक्त मस्ती, प्रेम और भक्ति के रंग में रंग जाने की इच्छा व्यक्त करता है।
- – नामदेव, रसखान, कबीरा जैसे संतों की तरह मस्त फकीर बनने की कामना की गई है।
- – गीत में वृन्दावन और बांके बिहारी के प्रति गहरा प्रेम और भक्ति झलकती है।
- – स्वर बाबा श्री चित्र विचित्र महाराज का है, जो भक्ति संगीत के माध्यम से आध्यात्मिक आनंद प्रदान करते हैं।

आज किरपा बरसा दो,
श्याम रंग अपना चढ़ा दो,
मगन हो नाचूं गाउँ,
मगन हो नाचूं गाउँ,
ऐसा मुझे मस्त बना दो,
आज किरपा बरसा दों,
श्याम रंग अपना चढ़ा दो।।
मन की मुराद मेरी पूरी कब होगी,
मन की मुराद मेरी पूरी कब होगी,
श्याम तेरी याद में बनूँगा प्रेम रोगी,
ऐसी लगन लगा दो,
आज किरपा बरसा दों,
श्याम रंग अपना चढ़ा दो।
मगन हो नाचूं गाउँ,
मगन हो नाचूं गाउँ,
ऐसा मुझे मस्त बना दो,
आज किरपा बरसा दों,
श्याम रंग अपना चढ़ा दो।।
ऐसी चढ़ा दो मुझे नाम की मस्ती,
ऐसी चढ़ा दो मुझे नाम की मस्ती,
जिस मस्ती को दुनिया तरसती,
मस्त मलंग बना दो,
आज किरपा बरसा दों,
श्याम रंग अपना चढ़ा दो।
मगन हो नाचूं गाउँ,
मगन हो नाचूं गाउँ,
ऐसा मुझे मस्त बना दो,
आज किरपा बरसा दों,
श्याम रंग अपना चढ़ा दो।।
नामदेव रसखान कबीरा,
नामदेव रसखान कबीरा,
ऐसा बना दो मस्त फकीरा,
वृन्दावन में बसा दो,
आज किरपा बरसा दों,
श्याम रंग अपना चढ़ा दो।
मगन हो नाचूं गाउँ,
मगन हो नाचूं गाउँ,
ऐसा मुझे मस्त बना दो,
आज किरपा बरसा दों,
श्याम रंग अपना चढ़ा दो।।
जग है दीवाना तेरा बांके बिहारी,
जग है दीवाना तेरा बांके बिहारी,
‘चित्र विचित्र’ को आस तुम्हारी,
पागलपन को चढ़ा दो,
आज किरपा बरसा दों,
श्याम रंग अपना चढ़ा दो।
मगन हो नाचूं गाउँ,
मगन हो नाचूं गाउँ,
ऐसा मुझे मस्त बना दो,
आज किरपा बरसा दों,
श्याम रंग अपना चढ़ा दो।।
आज किरपा बरसा दो,
श्याम रंग अपना चढ़ा दो,
मगन हो नाचूं गाउँ,
मगन हो नाचूं गाउँ,
ऐसा मुझे मस्त बना दो,
आज किरपा बरसा दों,
श्याम रंग अपना चढ़ा दो।।
स्वर – बाबा श्री चित्र विचित्र महाराज।
