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- – यह गीत अजमाल जी के छावे (पुत्र) के आगमन और उनके सम्मान में गाया गया है।
- – माता मेना और पिता अजमाल जी के परिवार का वर्णन है, जिसमें हरि (भगवान) के अवतार की बात की गई है।
- – बाबा और बनिये, जो समाज के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं, गीत में शामिल हैं।
- – आंधला, पांगला और कौड़ियां (विकलांग या असामान्य लोग) भी इस आयोजन में सम्मिलित होते हैं और उन्हें आशीर्वाद दिया जाता है।
- – दूर-दूर से जात्री (यात्री) इस आयोजन में आते हैं और नर-नारी सभी मिलकर हरि के चरणों में भक्ति करते हैं।
- – गीत में रामचन्द्र रोलण द्वारा गायन किया गया है और इसे Ms Panwar Narnadi ने अपलोड किया है।

आज म्हारे आंगने,
अजमाल जी रा छावा,
घुघरू बाजे धनी रे रिमा रे जिमा।।
माता मेना दे हरि रे,
पिता अजमाल जी,
फूलड़ा में हरि अवतार लियो।।
पिछम धरा में बाबा,
बनियों थारो देवरों,
धजा फरुखे आसमान महाराज।।
आंधला आवे बाबा,
पांगला भी आवे,
कौड़ियां रि मंडली न्यारी ओ महाराज।।
आंधला ने आंख देवो,
पांगला ने पांव,
कौड़ियां रो कलंक जड़ाओ महाराज।।
दूर देशों से आवे बाबा,
आवे जातरी,
सहजोड़े नर नारी महाराज।।
हरि रे चरणों में भाटी,
हरजी बोले,
म्हारे वाना रो तिलक बधाओ महाराज।।
आज म्हारे आंगने,
अजमाल जी रा छावा,
घुघरू बाजे धनी रे रिमा रे जिमा।।
गायक – रामचन्द्र रोलण।
Upload – Ms Panwar Narnadi
9001717456
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