- – यह गीत “श्याम” की करुणता और संवेदनशीलता को दर्शाता है, जो आंसुओं से पिघल जाता है।
- – श्याम किसी भी परिस्थिति को सहन कर सकता है, लेकिन किसी को रोते हुए देखना वह बर्दाश्त नहीं कर सकता।
- – द्रोपदी, नानी नरसी और सुदामा जैसे पात्रों के आंसू और उनकी पीड़ा का जिक्र किया गया है, जो श्याम के प्रति उनकी भक्ति और विश्वास को दर्शाता है।
- – श्याम की ममता और दया का भाव गीत में प्रमुख है, जो दुखी और रोते हुए लोगों को सहारा देता है।
- – गीत में आंसुओं के माध्यम से प्रेम, करुणा और विश्वास की गहराई को व्यक्त किया गया है।

आंसुओ से पिघलता मेरा श्याम है,
देख सकता है श्याम कुछ भी होते हुए,
नही ये नही देख सकता हमें रोते हुए,
नही ये नही देख सकता हमें रोते हुए।।
द्रोपदी ने जो रो रो बुलाया इसे,
बनके साड़ी का पल्ला बचाया उसे,
बनके साड़ी का पल्ला बचाया उसे,
लाज जाएगी ना इसके होते हुए,
नही ये नही देख सकता हमें रोते हुए,
नही ये नही देख सकता हमें रोते हुए।।
नानी नरसी जो आंसू बहाने लगे,
रोते रोते वो तुझको बुलाने लगे,
रोते रोते वो तुझको बुलाने लगे,
देखा सबने मायरा इसको भरते हुए,
नही ये नही देख सकता हमें रोते हुए,
नही ये नही देख सकता हमें रोते हुए।।
रो पड़ा जब सुदामा तेरे द्वार पे,
तूने सबकुछ लुटा डाला उस यार पे,
तूने सबकुछ लुटा डाला उस यार पे,
देखा सबने रंक को राजा होते हुए,
नही ये नही देख सकता हमें रोते हुए,
नही ये नही देख सकता हमें रोते हुए।।
आंसुओ से पिघलता मेरा श्याम है,
जो पुकारा है रो रो किया काम है,
जो पुकारा है रो रो किया काम है,
‘श्याम’ को डर नही इनके होते हुए,
नही ये नही देख सकता हमें रोते हुए,
नही ये नही देख सकता हमें रोते हुए।।
आंसुओ से पिघलता मेरा श्याम है,
देख सकता है श्याम कुछ भी होते हुए,
नही ये नही देख सकता हमें रोते हुए,
नही ये नही देख सकता हमें रोते हुए।।
स्वर – संजू शर्मा जी।
