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- – यह गीत राजस्थान की लोकभाषा में लिखा गया है, जिसमें “सेठ सांवरा” को बार-बार बुलाया गया है।
- – गीत में पारिवारिक रिश्तों और सामाजिक जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन है, जैसे देराणी, जेठाणी, नानी आदि।
- – गीत में मेले, भजन, और पारंपरिक व्यंजनों जैसे बेसनो, बाटी आदि का उल्लेख है।
- – भावनात्मक और सांस्कृतिक संदर्भों के माध्यम से ग्रामीण जीवन की झलक प्रस्तुत की गई है।
- – गीत का स्वर जगदीश वैष्णव जी ने दिया है और प्रेषक devilal हैं।

आव आव मारा सेठ सांवरा,
था बीन मायरो कुन भरे।।
देराणी जेठाणी माने,
मोसा गना बोले,
नानी नैणा सु नीर जरे,
आव आव म्हारा सेठ सांवरा,
था बीन मायरो कुन भरे।।
ओर सेटा के मेला माई बेसनो,
नरसी तो टपरी मे भजन करे,
आव आव म्हारा सेठ सांवरा,
था बीन मायरो कुन भरे।।
ओर सेटा के बापला बाटीया,
सोरा सोरी मारा भुका मरे,
आव आव म्हारा सेठ सांवरा,
था बीन मायरो कुन भरे।।
ओर सेटा के मगवल दासया,
सोरा सोरी तो सीया मरे,
आव आव म्हारा सेठ सांवरा,
था बीन मायरो कुन भरे।।
ओर सेटा के गाडिया माई बेसनो,
ओर सेटा के कारा माई गुमनो,
सोरा सोरी तो उबाना भरे,
आव आव म्हारा सेठ सांवरा,
था बीन मायरो कुन भरे।।
आव आव मारा सेठ सांवरा,
था बीन मायरो कुन भरे।।
स्वर- जगदीश वैष्णव जी।
प्रेषक – devilal
9521340756
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
