- – गीत में जीवन की कठिनाइयों और संघर्षों का वर्णन है, जहाँ व्यक्ति श्याम (भगवान कृष्ण) की शरण में आता है।
- – जीवन की नैया हिचकोले खाने लगी है और व्यक्ति श्याम से मदद और सहारा मांग रहा है।
- – व्यक्ति श्याम की पूजा-पाठ से अधिक उनकी सूरत और प्रेम को मानता है, जो उसके लिए सबसे प्यारा है।
- – हार और असफलताओं के बाद भी श्याम से आशा और सहारा पाने की इच्छा व्यक्त की गई है।
- – गीत में भक्त की भक्ति, समर्पण और भगवान श्याम के प्रति गहरा विश्वास झलकता है।
- – किशोरी दासी के स्वर में यह भजन श्याम के प्रति श्रद्धा और भक्ति की भावना को सुंदरता से प्रस्तुत करता है।

आए है शरण श्याम सांवरे,
श्याम सांवरे, श्याम सांवरे,
श्याम सांवरे, श्याम सांवरे,
आए है शरण श्याम सांवरे।।
नैया मेरी मजधार में डोले,
जीवन नैया खाए हिचकोले,
पार लगाओ ऐ साँवरिया,
तेरे दर पर मैं तो आन पड़ी,
जग की ठोकर खा खा कर,
ऐ श्याम मैं अब तो हार चुकी,
आए हैं शरण श्याम साँवरे,
श्याम सांवरे, श्याम सांवरे,
श्याम सांवरे, श्याम सांवरे,
आए है शरण श्याम साँवरे।।
ना पूजा ना पाठ मैं जानू,
सब कुछ श्याम मैं तुमको मानु,
तेरी सूरत इतनी प्यारी है,
मैं इस पर बलि बलि जाऊं,
ऐ श्याम सलोने साँवरिया
तुझे छोड़ मैं किस दर जाऊं,
आए हैं शरण श्याम साँवरे,
श्याम सांवरे, श्याम सांवरे,
श्याम सांवरे, श्याम सांवरे,
आए है शरण श्याम साँवरे।।
हारे के सहारे श्याम तुम चले आओ,
हारे हुओ की आके लाज बचाओ,
आ जाओ मेरे ऐ साँवरिया,
तू हारे का सहारा है,
मैं भी तो अब हार गई,
फिर मुझको क्यो ठुकराया है
आए हैं शरण श्याम साँवरे,
श्याम सांवरे, श्याम सांवरे,
श्याम सांवरे, श्याम सांवरे,
आए है शरण श्याम साँवरे।।
आए है शरण श्याम सांवरे,
श्याम सांवरे, श्याम सांवरे,
श्याम सांवरे, श्याम सांवरे,
आए है शरण श्याम सांवरे।।
स्वर – किशोरी दासी।
