- – यह भजन भगवान बिहारी (कृष्ण) से विनती और शरण लेने की प्रार्थना है।
- – भक्त अपने चरणों की सेवा करने और अपने चाकर बनने की इच्छा व्यक्त करता है।
- – ब्रज वासियों की झूठन (भोजन) और महलों की प्रसाद प्राप्त करने की कामना की गई है।
- – भजन में भक्त अपने आप को पतित और अधम बताते हुए भगवान से दया और सहारा मांगता है।
- – बार-बार “बिहारी विनती सुनलो हमारी” का दोहराव भक्त की सच्ची और विनम्र प्रार्थना को दर्शाता है।
- – यह भजन भक्ति और समर्पण की भावना से ओत-प्रोत है, जिसमें भगवान से कृपा की याचना की गई है।
आए शरण तिहारी,
बिहारी विनती सुनलो हमारी,
विनती हमारी,
सुनलो विनती हमारी,
आए शरण तिहारि,
बिहारी विनती सुनलो हमारी।।
अपने चरण की सेवा दीजे,
अपने चरण की सेवा दीजे,
अपनों चाकर मोहे कर लीजे,
अपनों चाकर मोहे कर लीजे,
है अरदास हमारी,
बिहारी विनती सुनलो हमारी,
विनती हमारी,
सुनलो विनती हमारी,
आए शरण तिहारि,
बिहारी विनती सुनलो हमारी।।
ब्रज वासिन की झूठन पाऊं,
ब्रज वासिन की झूठन पाऊं,
महलन की परसादी पाऊं,
महलन की परसादी पाऊं,
कृपा करो बनवारी,
बिहारी विनती सुनलो हमारी,
विनती हमारी,
सुनलो विनती हमारी,
आए शरण तिहारि,
बिहारी विनती सुनलो हमारी।।
भजन ना ज्ञान ना जप तप कोई,
भजन ना ज्ञान ना जप तप कोई,
पतित अधम मोसम ना कोई,
पतित अधम मोसम ना कोई,
पकड़ो बांह हमारी,
बिहारी विनती सुनलो हमारी,
विनती हमारी,
सुनलो विनती हमारी,
आए शरण तिहारि,
बिहारी विनती सुनलो हमारी।।
आए शरण तिहारी,
बिहारी विनती सुनलो हमारी,
विनती हमारी,
सुनलो विनती हमारी,
आए शरण तिहारि,
बिहारी विनती सुनलो हमारी।।
Singer : Nikunj Kamra Ji