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आयो फागणियो अलबेलो,
बाबा श्याम धणी को मेलो,
चाल्यो भगता को यो रेलो,
खाटू श्याम जी,
ओ खाटू धाम जी ॥

कपड़ो रेशम वालो ल्यायो,
खुद हाथा निशाण बणायो,
गोटो चारू मेर लगायो,
खाटू श्याम जी,
अन्तर छ्डक्यो निशाण के ऊपर,
फिर में ढोक दियो सर रखकर,
बांध्यो जोर से कमर के ऊपर,
यो निशान जी,
यो निशान जी,
आयो फागणियो अलबेलों,
बाबा श्याम धणी को मेलो,
चाल्यो भगता को यो रेलो,
खाटू श्याम जी,
ओ खाटू धाम जी ॥

ओ गेला माही ठाठ अनोखा,
खातिर करे भगत की चोखा,
तू भी क्यूं चूके ये मौका,
सारा नाचता कूदता आया,
सब प्रेमिया से प्रेम बढ़ाया,
मिलकर घणा ही आनन्द आया,
खाटू श्याम जी,
खाटू धाम जी ॥

पूरो खाटू नगरी घूम्यो,
मनडो म्हारो घणो ही झूम्यो,
जद मुं थारी चौखट चूम्यो,
खाटू श्याम जी,
थारा विशाल दर्शन पाया,
नैणा झर झर नीर बहाया,
इतना दिना में मैं क्यूं आया,
खाटू धाम जी,
आयो फागणियो अलबेलों,
बाबा श्याम धणी को मेलो,
चाल्यो भगता को यो रेलो,
खाटू श्याम जी,
ओ खाटू धाम जी ॥

दर्शण कर बाबा सू बोल्यो,
‘राजू’ जो भी श्याम को होल्यो,
थे किस्मत को तालों खोल्यो,
खाटू श्याम जी,
उकी घर करे यू रूखाली,
उको बण ज्या यो खुद हाली,
खाटू श्याम जी,
आयो फागणियो अलबेलों,
बाबा श्याम धणी को मेलो,
चाल्यो भगता को यो रेलो,
खाटू श्याम जी,
ओ खाटू श्याम जी ॥

आयो फागणियो अलबेलो,
बाबा श्याम धणी को मेलो,
चाल्यो भगता को यो रेलो,
खाटू श्याम जी,
ओ खाटू धाम जी ॥

आयो फागणियो अलबेलो: भजन का गहन विश्लेषण और अर्थ

यह भजन श्याम भक्तों के हृदय की भावना को गहराई से व्यक्त करता है। फाल्गुन के मास में आयोजित खाटू श्याम मेले और भक्तों की भक्ति, आस्था, और प्रेम का यह भजन जीवंत चित्रण है। हर पंक्ति केवल एक वर्णन मात्र नहीं है, बल्कि भक्त और भगवान के बीच गहरे आध्यात्मिक संबंध को उजागर करती है। आइए, इस भजन को गहराई से समझें।


आयो फागणियो अलबेलो

भावार्थ:
फागण (फाल्गुन) के महीने का आगमन उल्लास और उमंग का प्रतीक है। ‘अलबेला’ का अर्थ है अनोखा और निराला। यह समय खाटू श्याम के भक्तों के लिए विशेष है क्योंकि यह मेलों और उत्सवों का समय है।

गहनता से समझें:
फाल्गुन का महीना हिंदू संस्कृति में त्योहारों और आध्यात्मिक साधना का समय है। इस समय खाटू में लगने वाला मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भक्तों के लिए पुनर्जन्म की अनुभूति जैसा है। ‘अलबेलो’ शब्द इस मेले की अनोखी दिव्यता को दर्शाता है।


बाबा श्याम धणी को मेलो

भावार्थ:
खाटू नगरी में श्याम बाबा के सम्मान में जो मेला लगता है, वह भक्तों की श्रद्धा और भक्ति का केंद्र है।

गहनता से समझें:
यह मेला श्याम बाबा की कृपा और उनकी सार्वभौमिकता का प्रतीक है। श्याम को ‘धणी’ कहा गया है, जो यह दर्शाता है कि वे न केवल भक्तों के भगवान हैं, बल्कि उनके जीवन के संरक्षक भी हैं। इस मेले में भक्त अपनी समस्याओं का समाधान और आत्मा की शांति प्राप्त करते हैं।


चाल्यो भगता को यो रेलो

भावार्थ:
भक्तों का समूह खाटू धाम की ओर बढ़ रहा है। यह केवल भौतिक यात्रा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक है।

गहनता से समझें:
‘रेलो’ यानी भक्तों का काफिला सामूहिक भक्ति की शक्ति को दर्शाता है। यह एकता, प्रेम, और भगवान के प्रति समर्पण का प्रतीक है। इस यात्रा में शामिल होना जीवन में श्याम बाबा की कृपा पाने के लिए अपनी आध्यात्मिक जड़ों की ओर लौटने जैसा है।


खाटू श्याम जी, ओ खाटू धाम जी

भावार्थ:
यह पंक्ति खाटू नगरी और वहां स्थित श्याम बाबा की महिमा का गुणगान करती है।

गहनता से समझें:
खाटू धाम केवल एक स्थान नहीं, बल्कि भक्तों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। यहां श्याम बाबा के दर्शन मात्र से आत्मा को शांति और जीवन को दिशा मिलती है। भक्त इसे मोक्ष प्राप्ति का द्वार मानते हैं।


कपड़ो रेशम वालो ल्यायो, खुद हाथा निशाण बणायो

भावार्थ:
भक्त अपने हाथों से रेशमी कपड़े और निशान बनाकर श्याम बाबा के चरणों में अर्पित करते हैं।

गहनता से समझें:
रेशम का कपड़ा श्याम बाबा के प्रति भक्त की सजीव श्रद्धा और निशान उसकी अचल भक्ति का प्रतीक है। भक्त निशान बनाते समय अपनी भावनाओं और प्रार्थनाओं को उसमें समाहित करते हैं। यह न केवल बाहरी समर्पण है, बल्कि आंतरिक पवित्रता का प्रतीक है।


गोटो चारू मेर लगायो

भावार्थ:
निशान को सजाने के लिए सोने और गोटे का उपयोग किया गया है।

गहनता से समझें:
गोटे की चमक और भव्यता भक्त के उस प्रेम और आदर को दर्शाती है, जो वह श्याम बाबा के लिए महसूस करता है। इसे निशान पर लगाकर वह अपनी श्रद्धा और समर्पण को भौतिक रूप देता है।


अंतर छ्डक्यो निशाण के ऊपर, फिर में ढोक दियो सर रखकर

भावार्थ:
निशान पर पवित्र जल छिड़ककर भक्त उसे प्रणाम करता है।

गहनता से समझें:
जल छिड़कना और निशान को प्रणाम करना शुद्धिकरण और समर्पण का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि भक्त अपनी सभी परेशानियों और बंधनों को बाबा के चरणों में अर्पित कर देता है। यह क्रिया भक्त और भगवान के बीच आत्मिक संबंध को और गहरा करती है।


बांध्यो जोर से कमर के ऊपर, यो निशान जी

भावार्थ:
भक्त निशान को अपनी कमर से बांधते हैं और यात्रा पर निकलते हैं।

गहनता से समझें:
यह प्रतीक है कि भक्त अपनी भक्ति को अपने जीवन का हिस्सा मानता है। निशान को कमर से बांधना यह दिखाता है कि भक्त अपनी भक्ति और श्रद्धा को हर परिस्थिति में अपने साथ रखते हैं, चाहे वह कठिनाइयां ही क्यों न हों।


ओ गेला माही ठाठ अनोखा, खातिर करे भगत की चोखा

भावार्थ:
खाटू धाम का ठाठ अनोखा है, जहां श्याम बाबा भक्तों की हर प्रकार से सेवा करते हैं।

गहनता से समझें:
यहां ठाठ शब्द केवल भव्यता के लिए नहीं, बल्कि उस दिव्यता के लिए है जो बाबा श्याम के धाम में अनुभव होती है। बाबा का प्रेम और उनकी कृपा भक्तों के प्रति उनकी अद्वितीय उदारता को दर्शाती है।


तू भी क्यूं चूके ये मौका

भावार्थ:
भक्तों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे खाटू धाम जाने का यह अवसर न गंवाएं।

गहनता से समझें:
यह पंक्ति भक्तों को बाबा श्याम की कृपा का अनुभव करने के लिए प्रेरित करती है। यह उन्हें यह याद दिलाती है कि खाटू धाम जाना केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि उनके जीवन की एक महत्वपूर्ण साधना हो सकती है।


सारा नाचता कूदता आया, सब प्रेमिया से प्रेम बढ़ाया

भावार्थ:
खाटू मेले में सभी भक्त उत्साह और प्रेम से भरे होते हैं।

गहनता से समझें:
यहां ‘नाचता कूदता’ शब्द भक्तों के उमंग और बाबा श्याम के प्रति उनकी आत्मीयता को दर्शाता है। यह उनके जीवन में आनंद और प्रेम को बढ़ाने वाला अनुभव बन जाता है।


पूरो खाटू नगरी घूम्यो, मनडो म्हारो घणो ही झूम्यो

भावार्थ:
खाटू नगरी घूमते समय भक्त का मन खुशी से भर जाता है।

गहनता से समझें:
यह खुशी केवल बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और संतोष का प्रतीक है। खाटू नगरी में हर स्थान भक्त को बाबा श्याम की उपस्थिति का अनुभव कराता है।


जद मुं थारी चौखट चूम्यो, खाटू श्याम जी

भावार्थ:
जब भक्त खाटू श्याम जी की चौखट पर झुकता है और उसे चूमता है, तो वह अपनी आत्मा को भगवान के चरणों में समर्पित करता है।

गहनता से समझें:
श्याम बाबा की चौखट केवल पत्थर की सीढ़ी नहीं है; यह भगवान की कृपा और दिव्यता का प्रवेश द्वार है। इसे चूमने का अर्थ है अपने अहंकार को त्यागना और श्याम जी के शरणागत हो जाना। यह क्रिया भक्त के लिए आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है।


थारा विशाल दर्शन पाया, नैणा झर झर नीर बहाया

भावार्थ:
श्याम बाबा के भव्य दर्शन करते हुए भक्त के आंखों से आंसू बहने लगते हैं।

गहनता से समझें:
यहां आंसू केवल भावनात्मक अनुभव नहीं हैं, बल्कि भक्त के भीतर छुपी आत्मा की शुद्धता को दर्शाते हैं। बाबा के दर्शन से भक्त अपने सारे पाप और कष्ट भूलकर नई ऊर्जा और आत्मिक शांति पाते हैं।


इतना दिना में मैं क्यूं आया, खाटू धाम जी

भावार्थ:
भक्त पश्चाताप करता है कि वह इतने लंबे समय तक बाबा के धाम में क्यों नहीं आया।

गहनता से समझें:
यह पछतावा यह दर्शाता है कि भक्त को यह एहसास होता है कि खाटू धाम में आकर उसने जो अनुभव पाया, वह उसकी पूरी जीवन यात्रा के लिए आवश्यक था। बाबा के दर्शन के बिना उसकी आत्मा अधूरी थी, और अब उसे अपनी त्रुटि का बोध हो रहा है।


दर्शण कर बाबा सू बोल्यो, ‘राजू’ जो भी श्याम को होल्यो

भावार्थ:
बाबा श्याम के दर्शन के बाद भक्त श्याम बाबा से आशीर्वाद प्राप्त करता है और समझता है कि जो भी उनकी भक्ति में समर्पित होता है, उसका जीवन सार्थक हो जाता है।

गहनता से समझें:
यहां ‘राजू’ शब्द एक सामान्य भक्त का प्रतिनिधित्व करता है, जो अपने जीवन में श्याम बाबा को स्वीकार कर अपनी किस्मत बदल सकता है। बाबा का दर्शन और उनका सान्निध्य जीवन के सभी बंधनों को तोड़ने का साधन बनता है।


थे किस्मत को तालों खोल्यो

भावार्थ:
श्याम बाबा की कृपा से भक्त की किस्मत के सभी बंद ताले खुल जाते हैं।

गहनता से समझें:
यह ताले केवल भौतिक जीवन की कठिनाइयों का प्रतीक नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक जड़ता का भी संकेत हैं। बाबा की कृपा से भक्त को आत्मज्ञान, प्रगति, और नई दिशाओं का अनुभव होता है।


उकी घर करे यू रूखाली, उको बण ज्या यो खुद हाली

भावार्थ:
बाबा श्याम की कृपा से भक्त के घर में सुख-शांति का वास होता है।

गहनता से समझें:
यहां बाबा की शक्ति को दर्शाया गया है कि वे भक्त के जीवन की हर समस्या को सुलझाकर उसे सही मार्ग पर लाते हैं। ‘खुद हाली’ का अर्थ है कि श्याम बाबा व्यक्तिगत रूप से भक्त के जीवन में सक्रिय होते हैं, जैसे वे उसके साथी, संरक्षक, और मार्गदर्शक हों।


निशान का महत्व

गहनता से समझें:
भजन में ‘निशान’ का बार-बार उल्लेख यह दिखाता है कि यह केवल एक वस्तु नहीं, बल्कि भक्त और भगवान के बीच आध्यात्मिक संबंध का प्रतीक है। इसे लेकर चलना एक यात्रा है, जो बाहरी रूप में खाटू धाम तक पहुंचती है, लेकिन अंदरूनी रूप में आत्मा को शुद्ध करती है।


खाटू मेले का अनुभव

गहनता से समझें:
भजन के माध्यम से खाटू मेले के अनुभव को इस तरह से व्यक्त किया गया है कि हर भक्त इसे एक दिव्य उत्सव मानता है। यहां का हर पल, हर रस्म, और हर गतिविधि भगवान से गहराई से जुड़ी हुई है। यह मेला केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक स्तर पर भी लोगों को जोड़ता है।


भजन का समग्र संदेश

गहनता से समझें:
‘आयो फागणियो अलबेलो’ न केवल एक भजन है, बल्कि खाटू श्याम जी की महिमा और भक्तों की अनूठी आस्था का जीवंत चित्रण है। यह भजन हमें यह सिखाता है कि भगवान की भक्ति में समय और स्थान का बंधन नहीं है। खाटू धाम केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा के शुद्धिकरण और मोक्ष की ओर एक कदम है।


इस भजन के प्रत्येक शब्द और वाक्य में भावनाओं की गहराई है। यह भक्त और भगवान के बीच के अटूट प्रेम और समर्पण की कहानी है, जो हर श्याम भक्त के हृदय को छूती है।

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