- – यह भजन मानव जीवन के उद्देश्य और सतगुरु की महत्ता पर आधारित है।
- – जन्म को अनमोल हीरा बताया गया है, जिसे व्यर्थ गंवाने की निंदा की गई है।
- – जीवन को एक नश्वर बुलबुले के समान बताया गया है, जिसमें समझदारी और उद्देश्य की आवश्यकता है।
- – मानव से पूछा गया है कि उसने अपने सतगुरु और जीवन के वादे को क्यों भुला दिया।
- – भजन में आत्मचिंतन और जीवन के सही मार्ग पर चलने का संदेश दिया गया है।
- – लेखक अमन शर्मा ने इस भजन के माध्यम से जीवन के गहरे अर्थों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया है।
ऐ नर ज़रा बता दे,
कौतुक ये क्या किया है,
तूने जगत में आकर,
सतगुरु भुला दिया है।।
तर्ज – मुझे इश्क़ है तुझी से।
तू गर्भ के नरक में,
जब कष्ट सह रहा था,
बाहर मुझे निकालो,
रो रो के कह रहा था,
पर तूने जन्म लेकर,
वादा भुला दिया है,
अनमोल हीरा जन्म,
यूँ ही गवा दिया है,
ऐ नर ज़रा बता दे।।
तेरी ये ज़िंदगानी,
एक बुलबुला है पानी,
फिर भी नही तू समझा,
नादान ओ प्राणी,
तू किस लिए था आया,
ये भी न समझ पाया,
अपना निशान अपने,
हाथों मिटा दिया है,
ऐ नर ज़रा बता दे।।
ऐ नर ज़रा बता दे,
कौतुक ये क्या किया है,
तूने जगत में आकर,
सतगुरु भुला दिया है।।
– भजन लेखन एवं प्रेषक –
अमन शर्मा
9720091697