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- – गीत में श्याम के प्रेम में डूबे प्रेमी की भावनाओं का वर्णन है।
- – प्रेमी श्याम की मुस्कान और नयनमणि से प्रभावित होकर प्रेम के रोग से ग्रस्त हो गया है।
- – श्याम की तिरछी नजरें और मधुर मुस्कान प्रेमी को पागलपन की ओर ले जा रही हैं।
- – प्रेमी श्याम के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण व्यक्त करता है, जैसे कि वह उसकी हर एक बात और हर एक नजर का दीवाना है।
- – गीत में नंदलाला (श्याम) के प्रति ग्वालों की भी दीवानगी का उल्लेख है, जो प्रेम की गहराई को दर्शाता है।

ऐ री नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो।।
लुट जाउंगी श्याम तोरी लटकन पे,
बिक जाउंगी श्याम तोरी मटकन पे,
वो तो मधुर मधुर मुस्काय गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो,
ऐ री नैनन मे श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो।।
मर जाउंगी श्याम तोरी नैनन पे,
वारि जाउंगी श्याम तोरी बेनन पे,
वो तो तिरछी नज़र चलाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो,
ऐ री नैनन मे श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो।।
यो तो पागल को प्यारो है नंदलाला,
दीवाने भए जाके सब ग्वाला,
यो तो सपने में बतलाय गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो,
ऐ री नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
