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- – कविता में राधा रानी और श्यामसुंदर के प्रेम और भक्ति की भावना व्यक्त की गई है।
- – राधा के चरणों के दीदार से जीवन में खुशियों और शांति की कामना की गई है।
- – कवि का हृदय राधिका रानी की भक्ति और मस्ती में डूबा हुआ है, जिससे जीवन गुलजार हो जाता है।
- – राधा के दर्शन से मन की कली खिल उठती है और भवसिंधु (जगत के दुख) से मुक्ति की आशा जताई गई है।
- – कविता में भगवान कृष्ण और राधा के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम की अभिव्यक्ति है।
- – लेखक परशुराम उपाध्याय ने इस भावपूर्ण कविता के माध्यम से भक्ति और आनंद की अनुभूति साझा की है।
मेरे जीवन में खुशियों की सदा,
भरमार हो जाये,
अगर चरणों का राधा रानी के,
दीदार हो जाये।।
तर्ज – अगर दिलवर की रुसवाई।
ह्रदय में श्यामसुंदर के,
विराजें राधिका रानी,
छबीली लाडली राधा,
‘वो थी कान्हा की दीवानी’-2,
लगे मस्तक पे व्रज रज से मेरा,
उद्धार हो जाये।।
बिछाये नैन राहों में,
तेरे दरशन की चाहत है,
पिला दे जाम मस्ती का,
‘मिले दिल को जो राहत है”-2,
तेरे दरशन से ये जीवन मेरा,
गुलजार हो जाये।।
अगर किरपा जो हो जाये,
वो वृषभानु दुलारी का,
कली मन की भी खिल जाए,
‘झलक पा श्यामा प्यारी का’-2,
तो इस भवसिंधु से “परशुराम” भी,
भवपार हो जाये।।
मेरे जीवन में खुशियों की सदा,
भरमार हो जाये,
अगर चरणों का राधा रानी के,
दीदार हो जाये।।
लेखक एवं प्रेषक – परशुराम उपाध्याय।
श्रीमानस-मण्डल, वाराणसी।
मो-9307386438
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