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अहोई माता आरती in Hindi/Sanskrit

जय अहोई माता,
जय अहोई माता ।
तुमको निसदिन ध्यावत,
हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला,
तू ही है जगमाता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥

माता रूप निरंजन,
सुख-सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत,
नित मंगल पाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥

तू ही पाताल बसंती,
तू ही है शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक,
जगनिधि से त्राता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥

जिस घर थारो वासा,
वाहि में गुण आता ।
कर न सके सोई कर ले,
मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥

तुम बिन सुख न होवे,
न कोई पुत्र पाता ।
खान-पान का वैभव,
तुम बिन नहीं आता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥

शुभ गुण सुंदर युक्ता,
क्षीर निधि जाता ।
रतन चतुर्दश तोकू,
कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥

श्री अहोई माँ की आरती,
जो कोई गाता ।
उर उमंग अति उपजे,
पाप उतर जाता ॥

ॐ जय अहोई माता,
मैया जय अहोई माता ।

Ahoi Mata Aarti in English

Jai Ahoi Mata,
Jai Ahoi Mata.
Tumko nisdin dhyavat,
Har Vishnu Vidhata.
Om Jai Ahoi Mata.

Brahmani, Rudrani, Kamla,
Tu hi hai Jagmata.
Surya-Chandrama dhyavat,
Narad Rishi gata.
Om Jai Ahoi Mata.

Mata roop Niranjan,
Sukh-sampatti data.
Jo koi tumko dhyavat,
Nit mangal pata.
Om Jai Ahoi Mata.

Tu hi Patal basanti,
Tu hi hai Shubhdata.
Karm-prabhav prakashak,
Jagnidhi se Trata.
Om Jai Ahoi Mata.

Jis ghar Tharo vasa,
Vahi mein gun aata.
Kar na sake soi kar le,
Man nahi ghabrata.
Om Jai Ahoi Mata.

Tum bin sukh na hove,
Na koi putra pata.
Khan-paan ka vaibhav,
Tum bin nahi aata.
Om Jai Ahoi Mata.

Shubh gun sundar yukta,
Kshir nidhi jata.
Ratan Chaturdash toku,
Koi nahi pata.
Om Jai Ahoi Mata.

Shri Ahoi Maa ki Aarti,
Jo koi gata.
Ur umang ati upje,
Paap utar jata.

Om Jai Ahoi Mata,
Maiya Jai Ahoi Mata.

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जय अहोई माता आरती का अर्थ और विवरण

जय अहोई माता, जय अहोई माता

अर्थ: इस पंक्ति में अहोई माता की जयकार की जाती है, जिससे यह संकेत मिलता है कि सभी भक्त माता की स्तुति और सम्मान करते हैं। यह शुरुआत अहोई माता की महिमा का वर्णन करने के लिए की जाती है, जो एक माँ के रूप में अपनी संतान की रक्षा करती हैं और उनके जीवन को सुख-समृद्धि से भर देती हैं।

तुमको निसदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता

अर्थ: इसका तात्पर्य है कि विष्णु, जो सृष्टि के पालनकर्ता हैं, और विधाता, जो सृष्टि के निर्माता हैं, दोनों दिन-रात अहोई माता का ध्यान करते हैं। यहाँ यह दर्शाया गया है कि देवी अहोई की महिमा इतनी महान है कि स्वयं भगवान भी उनकी पूजा करते हैं और उनके प्रति समर्पित हैं।

ॐ जय अहोई माता

अर्थ: यह एक जयकार का शब्द है जो माता अहोई की स्तुति में बार-बार दोहराया जाता है। इसका उद्देश्य माता की महिमा और शक्ति की अनुभूति कराना है।

ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला, तू ही है जगमाता

अर्थ: यहाँ माता अहोई को ब्रह्माणी (ब्रह्मा की शक्ति), रुद्राणी (रुद्र या शिव की शक्ति), और कमला (लक्ष्मी) कहा गया है। इसका अर्थ है कि अहोई माता समस्त देवताओं की शक्ति का समन्वय हैं और समस्त जगत की जननी हैं। वे सृष्टि की प्रत्येक शक्ति का प्रतीक हैं।

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

अर्थ: इस पंक्ति में कहा गया है कि सूर्य और चन्द्रमा माता अहोई का ध्यान करते हैं, और नारद ऋषि उनकी स्तुति गाते हैं। इसका मतलब है कि प्रकृति के शक्तिशाली तत्व और महापुरुष भी माता की महिमा का गुणगान करते हैं।

माता रूप निरंजन, सुख-सम्पत्ति दाता

अर्थ: यहाँ माता को निरंजन, यानी बिना किसी दोष या माया से परे कहा गया है। अहोई माता भक्तों को सुख और समृद्धि का वरदान देती हैं। उनका रूप पवित्र और अकलंकित है।

जो कोई तुमको ध्यावत, नित मंगल पाता

अर्थ: इसका तात्पर्य है कि जो भी भक्त अहोई माता का ध्यान करते हैं, उन्हें जीवन में शुभ कार्य और मंगलकारी फल प्राप्त होते हैं। माता की पूजा जीवन में सकारात्मकता लाती है।

तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता

अर्थ: अहोई माता को पाताल (अधोलोक) में बसने वाली और शुभ देने वाली देवी कहा गया है। इसका अर्थ है कि माता अहोई सभी लोकों में व्याप्त हैं और हर स्थान पर शुभता और सुरक्षा प्रदान करती हैं।

कर्म-प्रभाव प्रकाशक, जगनिधि से त्राता

अर्थ: इस पंक्ति का तात्पर्य है कि अहोई माता भक्तों के कर्मों का प्रभाव प्रकाशित करती हैं और उन्हें जगत की सभी विपत्तियों से बचाती हैं। वे अपने भक्तों को सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्त कराती हैं।

जिस घर थारो वासा, वाहि में गुण आता

अर्थ: जिस घर में अहोई माता का वास होता है, उस घर में हमेशा गुण और सद्गुण आते हैं। यह माता की उपस्थिति का प्रभाव होता है कि उस घर में सकारात्मकता और गुणों की वृद्धि होती है।

कर न सके सोई कर ले, मन नहीं घबराता

अर्थ: माता अहोई की कृपा से भक्तों का मन कभी घबराता नहीं है, और वे वह कार्य भी कर पाते हैं जो उन्हें असंभव लगता था। माता का आशीर्वाद उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है।

तुम बिन सुख न होवे, न कोई पुत्र पाता

अर्थ: इस पंक्ति में कहा गया है कि अहोई माता के बिना किसी को जीवन में सुख नहीं प्राप्त हो सकता, और न ही संतान की प्राप्ति हो सकती है। माता अहोई विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति में सहायक मानी जाती हैं।

खान-पान का वैभव, तुम बिन नहीं आता

अर्थ: इसका तात्पर्य है कि माता की कृपा के बिना जीवन में खाने-पीने का वैभव या समृद्धि नहीं आती। माता के आशीर्वाद से ही जीवन में समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

शुभ गुण सुंदर युक्ता, क्षीर निधि जाता

अर्थ: अहोई माता को शुभ गुणों और सुंदरता से युक्त बताया गया है। क्षीर निधि का अर्थ है समुद्र, जो समृद्धि और संपत्ति का प्रतीक है। माता का आशीर्वाद पाने वाले को यह समृद्धि प्राप्त होती है।

रतन चतुर्दश तोकू, कोई नहीं पाता

अर्थ: रतन चतुर्दश का मतलब चौदह रत्नों से है, जो समुद्र मंथन से प्राप्त हुए थे। यहाँ कहा गया है कि अहोई माता की कृपा के बिना कोई इन दुर्लभ रत्नों और समृद्धि को प्राप्त नहीं कर सकता।

श्री अहोई माँ की आरती, जो कोई गाता

अर्थ: इस पंक्ति का तात्पर्य है कि जो भी भक्त अहोई माता की आरती गाता है, उसके हृदय में अत्यधिक उमंग और खुशी का संचार होता है। यह आरती गाने से भक्त के सभी पाप मिट जाते हैं।

उर उमंग अति उपजे, पाप उतर जाता

अर्थ: अहोई माता की आरती गाने से भक्त के हृदय में उमंग उत्पन्न होती है और उसके जीवन से सभी पाप धुल जाते हैं। आरती का यह गुण जीवन में पवित्रता लाता है।

ॐ जय अहोई माता, मैया जय अहोई माता

अर्थ: इस पंक्ति में फिर से माता अहोई की जयकार की जाती है, जो भक्तों के द्वारा की जाने वाली उनकी अंतिम स्तुति है। इससे भक्तों का पूर्ण समर्पण और माता के प्रति सम्मान प्रकट होता है।

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