- – यह भजन जीवन के दुखों और पीड़ाओं को दर्शाता है, जिसमें आत्मा (जीवड़ा) को आग की तरह जलते हुए महसूस किया गया है।
- – भजन में वैरागी (संन्यासी) बनने की इच्छा और सांसारिक बंधनों से मुक्ति पाने की बात कही गई है।
- – घर की जिम्मेदारियों और पारिवारिक दबावों से उत्पन्न तनाव को भी व्यक्त किया गया है।
- – कबीर के संदेश का उल्लेख करते हुए, आत्मा को अमल (सच्चाई और कर्म) के साथ जलाए रखने की प्रेरणा दी गई है।
- – जीवन में कठिनाइयों के बावजूद, आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति पर जोर दिया गया है।
- – भजन मनीष जी सिरवी द्वारा प्रस्तुत किया गया है और इसका लिंक भी दिया गया है।
अरे आज मारो मनड़ो हुओ वैरागी,
उठे हवारनो वेगो रे जीवडा,
अमल कालजे लागो ए हा।।
घर वाली ने हेलो रे मारीयो,
देवे नी लोटो आगो रे जीवडा,
अमल कालजें लागो ए हा।।
घर वाली ने हेलो रे मारीयो,
देवेनी चुटीयो आगो रे जीवडा,
अमल कालजें लागो ए हा।।
अरे अलीये गलीये फिरे भटकतो,
अरे करे अमल ने आगो रे जीवडा,
अमल कालजें लागो ए हा।।
जाय अमलो मे नीचो बैठो,
गोडो बिच मे मातो रे जीवडा,
अमल कालजें लागो ए हा।।
अरे एक हथेली ने दुजी हथेली,
तीजी पिवा लागो रे जीवडा,
अमल कालजें लागो ए हा।।
अरे हाड गले ज्यारा मांस गले,
डगमग करवा लागो रे जीवडा,
अमल कालजें लागो ए हा।।
अरे गाडो बेचीयो ने बलद बेचीया,
घर बेचवा लागो रे जीवडा,
अमल कालजें लागो ए हा।।
अरे कहेसे कबीर सुनो रे भई संतों,
अमल राखजो आगो रे जीवडा,
अमल कालजें लागो ए हा।।
अरे आज मारो मनड़ो हुओ वैरागी,
उठे हवारनो वेगो रे जीवडा,
अमल कालजे लागो ए हा।।
भजन प्रेषक – मनीष जी सिरवी।
9640557818
https://youtu.be/wUZc3FLWSCc
