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आमलकी एकादशी कथा in Hindi/Sanskrit

एक वैदिश नामक नगर में, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र सभी वर्ग के लोग रहते थे। सभी विष्णु भक्त थे और कोई भी नास्तिक नहीं था। राजा चैतरथ विद्वान और धार्मिक थे। उनके राज्य में कोई भी दरिद्र नहीं था और सभी एकादशी का व्रत करते थे।

एक बार फाल्गुन मास में आमलकी एकादशी आई। राजा और सभी नगरवासियों ने व्रत रखा, मंदिर में आंवले की पूजा की और रात्रि जागरण किया। रात के समय, एक बहेलिया, जो घोर पापी था, भूख-प्यास से व्याकुल होकर मंदिर में आ गया। उसने जागरण देखा और विष्णु भगवान व एकादशी व्रत कथा सुनी। पूरी रात वह जागता रहा। सुबह नगरवासियों के साथ वह भी घर चला गया। कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो गई।

लेकिन, आमलकी एकादशी व्रत कथा और जागरण का पुण्य उसे राजा विदूरथ के घर में जन्म दिला गया। नया राजा वसुरथ नामक हुआ। बड़ा होकर वह नगर का राजा बना।

एक दिन शिकार खेलते हुए, वह रास्ता भटक गया और एक पेड़ के नीचे सो गया। थोड़ी देर बाद म्लेच्छों का एक दल वहां आ गया। उन्होंने राजा को अकेला देखकर उसे मारने का षड्यंत्र रचा। वे बोले, “इस राजा ने ही हमें देश निकाला है, इसे मार डालना चाहिए।”

सोते हुए राजा को अनजान में ही म्लेच्छों ने मारना शुरू कर दियालेकिन चमत्कार हुआ, उनके शस्त्र फूल बनकर गिरने लगे। कुछ ही देर में सभी म्लेच्छ मृत पड़े थे।

नींद खुलने पर, राजा ने मृत म्लेच्छों को देखा और समझ गए कि उनकी जान किसी ने बचाई हैआकाशवाणी हुई, “हे राजन! तुम्हारी जान भगवान विष्णु ने बचाई है। पिछले जन्म में आमलकी एकादशी व्रत कथा सुनने का पुण्य ही आज तुम्हारे काम आया है।”

यह सुनकर राजा नगर लौट आए और सुखपूर्वक राज करने लगे। वे धर्म का पालन करते रहे।

सीख

  • पापी बहेलिया को भी एक पुण्य कथा का श्रवण अच्छा जन्म दिला गया।
  • विष्णु भगवान अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
  • एकादशी व्रत का पुण्य अत्यंत महान है।

आमलकी एकादशी व्रत कथा Video

Amalaki Ekadashi Vrat Katha in English

In a town called Vaidhish, people of all classes—Brahmins, Kshatriyas, Vaishyas, and Shudras—lived harmoniously. They were all devotees of Lord Vishnu, and none were atheists. The king of the town, Chaitrath, was a wise and religious ruler. In his kingdom, no one was impoverished, and everyone observed the Ekadashi fast.

Once, in the month of Phalgun, Amalaki Ekadashi arrived. The king and all the townspeople observed the fast, worshipped the Amla (Indian gooseberry) tree in the temple, and stayed awake in vigil through the night. During the night, a hunter, who was a great sinner, wandered into the temple, exhausted and thirsty. He saw the vigil and listened to the story of Lord Vishnu and the Ekadashi fast. He stayed awake the entire night. In the morning, he went home along with the townspeople. Shortly afterward, he passed away.

However, the merit he earned from listening to the Amalaki Ekadashi story and staying awake through the night allowed him to be reborn in the house of King Vidurath as a prince. The new king was named Vasurath, and he grew up to become the king of the town.

One day, while hunting, he lost his way and fell asleep under a tree. After some time, a group of mlechhas (foreign invaders) came upon him. Seeing the king alone, they plotted to kill him, saying, “This king exiled us from our land; he must be killed.”

The mlechhas began attacking the sleeping king, unaware of his divine protection. But a miracle occurred: their weapons turned into flowers and fell to the ground. Within moments, all the mlechhas lay dead.

When the king awoke and saw the dead mlechhas around him, he realized that someone had saved his life. A divine voice from the sky proclaimed, “O King! Lord Vishnu has saved your life. The merit of hearing the Amalaki Ekadashi story in your previous life has come to your aid today.”

Hearing this, the king returned to his town and continued to rule happily and justly. He adhered to the path of righteousness.

Lesson

  1. Even a sinful hunter received a good rebirth by listening to a sacred story.
  2. Lord Vishnu protects his devotees.
  3. The merit of observing the Ekadashi fast is truly great.

आमलकी एकादशी व्रत कथा PDF Download

आमलकी एकादशी व्रत कब है

आमलकी एकादशी 2025 में सोमवार, 10 मार्च को मनाई जाएगी। यह व्रत फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भक्तजन आंवले के वृक्ष की पूजा करते हैं, क्योंकि इसे भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है।

व्रत की तिथि और समय निम्नलिखित हैं:

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 9 मार्च 2025 को प्रातः 7:45 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 10 मार्च 2025 को प्रातः 7:44 बजे

आमलकी एकादशी व्रत का पारण कब है

आमलकी एकादशी व्रत 2025 में सोमवार, 10 मार्च को मनाया जाएगा। इस व्रत का पारण (व्रत खोलना) मंगलवार, 11 मार्च 2025 को प्रातः 6:35 बजे से 8:13 बजे के बीच करना शुभ माना गया है।

ध्यान दें कि पारण द्वादशी तिथि में ही करना चाहिए, और हरिवासर (द्वादशी के पहले चार घंटे) के दौरान पारण नहीं करना चाहिए। इसलिए, हरिवासर समाप्त होने के बाद ही पारण करें।

आमलकी एकादशी के फल

आमलकी एकादशी, जो फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में आती है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ को समर्पित है।

धार्मिक फल

  • पापों का नाश: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है।
  • पुण्य की प्राप्ति: इस व्रत को करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • भगवान विष्णु की प्रसन्नता: आमलकी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है, इसलिए इस व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
  • मनोकामना पूर्ति: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • ग्रह दोषों का निवारण: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से ग्रह दोषों का निवारण होता है।
  • आयुष्य वृद्धि: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से आयुष्य में वृद्धि होती है।
  • आरोग्य लाभ: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से आरोग्य लाभ होता है।

सांसारिक फल

  • सुख-समृद्धि: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • धन लाभ: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से धन लाभ होता है।
  • विद्या प्राप्ति: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से विद्या प्राप्ति में सफलता मिलती है।
  • संतान प्राप्ति: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से संतान प्राप्ति में सफलता मिलती है।
  • शत्रु पर विजय: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

आमलकी एकादशी व्रत का महत्त्व

आमलकी एकादशी, जो फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में आती है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ को समर्पित है।

धार्मिक महत्व

  • पापों का नाश: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है।
  • पुण्य की प्राप्ति: इस व्रत को करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • भगवान विष्णु की प्रसन्नता: आमलकी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है, इसलिए इस व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
  • मनोकामना पूर्ति: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • ग्रह दोषों का निवारण: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से ग्रह दोषों का निवारण होता है।
  • आयुष्य वृद्धि: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से आयुष्य में वृद्धि होती है।
  • आरोग्य लाभ: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से आरोग्य लाभ होता है।

सांसारिक महत्व

  • सुख-समृद्धि: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • धन लाभ: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से धन लाभ होता है।
  • विद्या प्राप्ति: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से विद्या प्राप्ति में सफलता मिलती है।
  • संतान प्राप्ति: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से संतान प्राप्ति में सफलता मिलती है।
  • शत्रु पर विजय: आमलकी एकादशी का व्रत रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

विशेष महत्व

  • आंवले का महत्व: आमलकी एकादशी के दिन आंवले का विशेष महत्व होता है। आंवला विटामिन सी का भंडार है और इसके अनेक स्वास्थ्य लाभ हैं। इस दिन आंवले का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और अनेक रोग दूर होते हैं।
  • दान का महत्व: आमलकी एकादशी के दिन दान करने का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

आमलकी एकादशी पूजाविधि

सामग्री

  • भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर
  • चौकी
  • पीले रंग का कपड़ा
  • दीपक
  • घी
  • कपूर
  • चंदन
  • पुष्प
  • फल
  • मिठाई
  • सुपारी
  • पान
  • दक्षिणा
  • जल
  • आंवले

विधि

  1. प्रातः स्नान: आमलकी एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. वेदी स्थापन: पूजा घर या किसी स्वच्छ स्थान पर चौकी रखें और उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर चौकी पर स्थापित करें।
  3. दीप प्रज्वलन: दीपक में घी डालकर जलाएं और कपूर जलाकर आरती करें।
  4. स्नान: भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को जल, दूध, पंचामृत आदि से स्नान कराएं।
  5. अर्चन: भगवान विष्णु को चंदन, पुष्प, फल, मिठाई, सुपारी, पान आदि अर्पित करें।
  6. आंवले का पूजन: आंवले के पेड़ की जड़ में जल, दूध और घी अर्पित करें। आंवले के पेड़ को कलावा बांधें और उस पर दीप जलाएं।
  7. मन्त्र जाप: विष्णु मन्त्रों का जाप करें। आप “ॐ नमो नारायणाय”, “ॐ विष्णुवे नमः”, या “लक्ष्मीनारायण नमः” मन्त्र का जाप कर सकते हैं।
  8. आरती: भगवान विष्णु की आरती गाएं।
  9. प्रार्थना: भगवान विष्णु से अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।
  10. व्रत का संकल्प: आमलकी एकादशी का व्रत रखने का संकल्प लें।
  11. भोजन: इस दिन फलाहार करें।
  12. कथा: आमलकी एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें।
  13. रात्रि जागरण: रात्रि में जागकर भजन-कीर्तन करें।
  14. पारण: अगले दिन द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-पुण्य करें।

कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • आमलकी एकादशी के दिन दान-पुण्य करना बहुत फलदायी होता है।
  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें।
  • व्रत के दौरान सत्य बोलें और किसी से भी झगड़ा न करें।
  • मन में भगवान विष्णु का ध्यान रखें।

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