- – यह कविता अंजनी के लाला, यानी भगवान हनुमान की भक्ति में रची गई है, जिसमें भक्त अपनी पीड़ा और आश्रय की इच्छा व्यक्त करता है।
- – हनुमान के रूप, उनके माथे के तिलक, कानों की बाला, और राम की माला का वर्णन किया गया है, जो उन्हें जगत में प्रिय बनाता है।
- – सालासर के मन्दिर और वहां दूर-दूर से आने वाले भक्तों का उल्लेख है, जो हनुमान के दर्शन से सभी फल प्राप्त करते हैं।
- – रामायण की घटनाओं जैसे सीता के हरण, हनुमान का लंका जाना, लक्ष्मण पर बाण लगना और संजीवनी लाने की कथा का वर्णन है।
- – भक्त हनुमान से अपनी रक्षा और सहारा मांगते हैं, यह दर्शाते हुए कि वे दुखी बालक हैं जो उनकी शरण चाहते हैं।
- – अंत में, भक्त हनुमान से अपनी बारी आने की प्रार्थना करता है और उनके प्रति गहरी श्रद्धा व्यक्त करता है।

अरे ओ अंजनी के लाला,
मुझे तेरा एक सहारा,
मुझे अपनी शरण में ले लो,
मैं बालक हूँ दुखियारा।।
माथे पर तिलक विशाला,
कानों में सुन्दर बाला,
थारे गले राम की माला,
ओ लाल लंगोटे वाला,
थारा रूप जगत से न्यारा,
लागे है सबने प्यारा,
अब अपनी शरण में ले लो,
मैं बालक हूँ दुखियारा,
अरे ओ अंजनी के लाला।।
प्रभु सालासर के माही,
थारा मन्दिर है अति भारी,
नित दूर दूर से आवे,
थारा दर्शन को नर नारी,
जो लाये घृत सिंदूरा,
पा जाये वो फल सारा,
अब अपनी शरण में ले लो,
मैं बालक हूँ दुखियारा,
अरे ओ अंजनी के लाला।।
सीता का हरण हुआ तो,
श्रीराम पे विपदा आई,
तुम जा पहुँचे गढ़ लंका,
माता की खबर लगाई,
सब बानर मिलकर बोले,
तेरे नाम का जय जयकारा,
अब अपनी शरण में ले लो,
मैं बालक हूँ दुखियारा,
ओ सुण अंजनी के लाला।।
जब शक्ति बाण लगा तो,
लक्ष्मण जी को मुर्छा आई,
बानर सेना घबराई,
रोये रामचन्द्र रघुराई,
तुम लाये संजीवन दीन्हा,
लक्ष्मण के प्राण उबारा,
अब अपनी शरण में ले लो,
मैं बालक हूँ दुखियारा,
अरे ओ अंजनी के लाला।।
बाबा तारे भक्त अनेकों,
चाहे नर था या नारी,
अब बोलो पवन कुमारा,
कब आयेगी मेरी बारी।
बाबा मै भी टाबर तेरा,
बस चाहू तेरा सहारा,
अब अपनी शरण में ले लो,
मैं बालक हूँ दुखियारा,
ओ सुण अंजनी के लाला।।
अरे ओ अंजनी के लाला,
मुझे तेरा एक सहारा,
मुझे अपनी शरण में ले लो,
मैं बालक हूँ दुखियारा।।
