- – यह गीत श्री यमुना जी के तट और वृंदावन की रस भूमि में भगवान कृष्ण की मुरली की मधुर तान का वर्णन करता है।
- – मुरली की तान सुनकर सखियां और यमुना तट के लोग मंत्रमुग्ध होकर हैरान हो जाते हैं।
- – गीत में शरद रात्रि की चांदनी, प्रेम रंग और कृष्ण की दिव्य छवि का सुंदर चित्रण किया गया है।
- – वृंदावन में रास रचने और प्रीतम के संग सखियों के ठुमकने का आनंद व्यक्त किया गया है।
- – गीत के माध्यम से कृष्ण की लीला, प्रेम और भक्ति की भावना को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया है।
- – गायक बाबा श्री चित्र विचित्र जी महाराज हैं और गीत शेखर चौधरी द्वारा प्रेषित है।

बाजी बाजी रे बांसुरी,
मनमोहन की बाजी,
बाजी बांसुरी की तान,
सखियां भई हैरान,
भागी यमुना तट को भागी,
बाजी बाजी रे बाँसुरी,
मनमोहन की बाजी,
बाजी बाजी रे बांसुरी।।
खिली चांदनी शरद रैन की,
श्री यमुना जी के तीरे,
श्री यमुना जी के तीरे,
श्री यमुना जी के तीरे,
कर में मुरली चरणन नूपुर,
बाजत धीरे-धीरे,
बाजत धीरे-धीरे,
बाजत धीरे-धीरे,
ईत मोर मुकुट उत,
शीश चंद्रिका साजे,
बाजी बांसुरी की तान,
सखियां भई हैरान भागी,
यमुना तट को भागी,
बाजी बाजी रे बाँसुरी,
मनमोहन की बाजी,
बाजी बाजी रे बांसुरी।।
श्री वृंदावन रस भूमि में,
रास रचो अति भारी,
रास रचो अति भारी,
रास रचो अति भारी,
ठुमक ठुमकना यह प्रिया प्रीतम,
जाए सखी बलिहारी,
जाये सखी बलिहारी,
जाये सखी बलिहारी,
कुंज कुंजन में सखियां,
प्रीतम के संग राजी,
बाजी बांसुरी की तान,
सखियां भई हैरान भागी,
यमुना तट को भागी,
बाजी बाजी रे बाँसुरी,
मनमोहन की बाजी,
बाजी बाजी रे बांसुरी।।
पागल भाई सब सखि सहचरी,
प्रेम रंग रस बरसे,
प्रेम रंग रस बरसे,
प्रेम रंग रस बरसे,
निरख निरख अद कुदरस लीला,
‘चित्र विचित्र’ मन हरषे,
‘चित्र विचित्र’ मन हरषे,
‘चित्र विचित्र’ मन हरषे,
प्रिया प्रीतम की दिव्य छवि,
हृदय बीच विराजी,
बाजी बांसुरी की तान,
सखियां भई हैरान भागी,
यमुना तट को भागी,
बाजी बाजी रे बाँसुरी,
मनमोहन की बाजी,
बाजी बाजी रे बांसुरी।।
बाजी बाजी रे बांसुरी,
मनमोहन की बाजी,
बाजी बांसुरी की तान,
सखियां भई हैरान,
भागी यमुना तट को भागी,
बाजी बाजी रे बाँसुरी,
मनमोहन की बाजी,
बाजी बाजी रे बांसुरी।।
गायक – बाबा श्री चित्र विचित्र जी महाराज,
प्रेषक – शेखर चौधरी मो – 9074110618
