जड़ से पहाड़ों को,
डाले उखाड़,
थर्राते त्रिभुवन,
जब मारे दहाड़,
बड़े बलशाली है,
बाबा बजरंग बली,
इनकी महिमा निराली है,
बाबा बजरंगी बली ॥
भूत प्रेत कांपे,
नाम सुनते महावीर का जब,
दम दानवो के निकलते,
याद आती है रणधीर की जब,
लाल ही तन लाल बदन,
लाली भी निराली है,
बाबा बजरंग बली,
इनकी महिमा निराली है,
बाबा बजरंगी बली ॥
दे मुद्रिका माँ सिया को,
शोक मोह सारा उनका निबारा,
फल खाये उपवन उजाड़ा,
दुष्ट अक्षय पटक करके मारा,
लंका जला अंजनी लला,
पूँछ जल में बुझा ली है,
बाबा बजरंग बली,
इनकी महिमा निराली है,
बाबा बजरंगी बली ॥
संजीवनी संग पूरा,
द्रोणागिरी उठाकर के लाये,
लंका से ला बैध जी को,
प्राण भ्रात लखन के बचाये,
सियाराम मन में देख लो,
छाती चीर डाली है,
बाबा बजरंग बली,
इनकी महिमा निराली है,
बाबा बजरंगी बली ॥
राम सब काम करते,
सब जियें राम के ही सहारे,
पर आपने तो है हनुमत,
काम सब राम के भी सवारे,
खाली कोई लौटा नहीं,
गर का सवाली है,
बाबा बजरंग बली,
इनकी महिमा निराली है,
बाबा बजरंगी बली ॥
भक्त वत्सल दीनानाथ हनुमत,
दीन बंधू दया चाहता है,
चरणों का चेला ‘मयंक’ है,
कृपा भिक्षा सदा मांगता है,
सरकार के दरबार से,
कोई जाता ना खाली है,
बाबा बजरंग बली,
इनकी महिमा निराली है,
बाबा बजरंगी बली ॥
जड़ से पहाड़ों को,
डाले उखाड़,
थर्राते त्रिभुवन,
जब मारे दहाड़,
बड़े बलशाली है,
बाबा बजरंग बली,
इनकी महिमा निराली है,
बाबा बजरंगी बली ॥
बड़े बलशाली हैं, बाबा बजरंग बली: भजन का गहन विश्लेषण
इस भजन में हनुमान जी के शौर्य, शक्ति, भक्ति और उनके अलौकिक कार्यों का विस्तार से वर्णन किया गया है। प्रत्येक पंक्ति उनके चरित्र, उनके कार्यों और उनके प्रति भक्तों की श्रद्धा को गहराई से व्यक्त करती है। आइए, इस भजन की पंक्तियों को विस्तृत रूप में समझते हैं।
जड़ से पहाड़ों को, डाले उखाड़
हनुमान जी की शक्ति को इस पंक्ति के माध्यम से अद्वितीय रूप में चित्रित किया गया है।
गहरा अर्थ: यहां “जड़ से पहाड़ों को उखाड़ने” का अर्थ केवल भौतिक शक्ति नहीं है। यह उनकी मानसिक और आध्यात्मिक दृढ़ता को भी दर्शाता है। हनुमान जी हर बाधा को, चाहे वह कितनी भी बड़ी क्यों न हो, जड़ से खत्म करने की क्षमता रखते हैं। यह हमारे जीवन में यह संदेश देता है कि यदि हमारी आत्मा मजबूत हो, तो हम किसी भी समस्या को समाप्त कर सकते हैं।
थर्राते त्रिभुवन, जब मारे दहाड़
हनुमान जी के गर्जन से तीनों लोक कांप उठते हैं।
गहरा अर्थ: त्रिभुवन (स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल) का थर्राना हनुमान जी की उपस्थिति और उनके शौर्य का प्रतीक है। उनकी गर्जना में शक्ति, निडरता और अधर्म का नाश करने का संकल्प समाहित है। यह हमें यह सिखाता है कि सत्य और धर्म के लिए खड़े होने से ही सच्ची शक्ति मिलती है।
भूत प्रेत कांपे, नाम सुनते महावीर का जब
हनुमान जी का नाम सुनते ही भूत-प्रेत भयभीत हो जाते हैं।
गहरा अर्थ: “महावीर” का अर्थ है महायोद्धा। हनुमान जी केवल भौतिक रूप से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत शक्तिशाली हैं। उनका नाम लेते ही नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियां दूर हो जाती हैं। यह हमें सिखाता है कि भगवान के नाम में अपार शक्ति है, जो हमें हर संकट से बचा सकती है।
दम दानवों के निकलते, याद आती है रणधीर की जब
हनुमान जी की उपस्थिति मात्र से ही दानव भयभीत हो जाते हैं।
गहरा अर्थ: “रणधीर” शब्द हनुमान जी के युद्ध में निडर और अपराजेय योद्धा होने को दर्शाता है। यहां उनका साहस और दुष्टों के खिलाफ उनकी लड़ाई को विशेष रूप से उजागर किया गया है। यह हमें यह प्रेरणा देता है कि हमें भी अधर्म और अन्याय के खिलाफ निडर होकर खड़ा होना चाहिए।
लाल ही तन लाल बदन, लाली भी निराली है
हनुमान जी का लाल शरीर उनकी ऊर्जा, तप और भक्ति का प्रतीक है।
गहरा अर्थ: लाल रंग परंपरागत रूप से शक्ति, साहस और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। हनुमान जी का लाल शरीर दर्शाता है कि वे सतत ऊर्जा और अटूट भक्ति का प्रतीक हैं। उनकी आभा इतनी तेजस्वी है कि जो भी उन्हें देखता है, वह आश्चर्यचकित रह जाता है।
दे मुद्रिका माँ सिया को, शोक मोह सारा उनका निबारा
हनुमान जी ने भगवान राम की मुद्रिका (अंगूठी) माता सीता को दी और उनके सारे कष्ट हर लिए।
गहरा अर्थ: यह घटना केवल एक संदेश पहुंचाने की नहीं है, बल्कि भगवान राम और माता सीता के प्रति हनुमान जी की सेवा और भक्ति का सर्वोत्तम उदाहरण है। यह हमें यह सिखाता है कि जब हम किसी कार्य में पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ लगते हैं, तो हर बाधा को पार कर सकते हैं।
फल खाये उपवन उजाड़ा, दुष्ट अक्षय पटक करके मारा
हनुमान जी ने अशोक वाटिका में फल खाए और अक्षय कुमार को परास्त किया।
गहरा अर्थ: यह पंक्ति हमें उनके निडर और न्यायप्रिय स्वभाव को दिखाती है। अशोक वाटिका में फल खाना उनकी निर्भीकता का प्रतीक है, जबकि अक्षय कुमार को मारना उनकी शक्ति और दुष्टों के प्रति उनकी कठोरता को दर्शाता है। यह सिखाता है कि अन्याय के खिलाफ कार्रवाई करना भी धर्म है।
लंका जला अंजनी लला, पूँछ जल में बुझा ली है
हनुमान जी ने लंका को जलाकर अधर्म का नाश किया।
गहरा अर्थ: लंका जलाना केवल एक भौतिक घटना नहीं थी; यह अधर्म, अहंकार और अन्याय के अंत का प्रतीक है। उनकी पूंछ जलाने का प्रयास रावण के घमंड और अन्याय का प्रतीक था, जिसे हनुमान जी ने पूरी तरह नष्ट कर दिया। यह हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने वाले किसी भी साधक को कोई बाधा रोक नहीं सकती।
संजीवनी संग पूरा, द्रोणागिरी उठाकर के लाए
हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने के लिए पूरे द्रोणागिरी पर्वत को उठा लाए।
गहरा अर्थ: यह घटना हनुमान जी के न केवल बल, बल्कि उनकी बुद्धिमत्ता, निष्ठा और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता को दर्शाती है। लक्ष्मण जी की प्राण रक्षा के लिए, जब संजीवनी बूटी को पहचान पाना संभव नहीं हुआ, तो हनुमान जी ने पूरे पर्वत को ही उठा लाने का निर्णय लिया। यह उनकी ‘समस्या का समाधान’ करने की अतुलनीय क्षमता को दर्शाता है। यह पंक्ति सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी हमें अपना धैर्य और संकल्प बनाए रखना चाहिए।
लंका से ला बैध जी को, प्राण भ्रात लखन के बचाए
हनुमान जी लंका से वैद्य सुषेण को लेकर आए और लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा की।
गहरा अर्थ: यह घटना बताती है कि हनुमान जी के लिए कोई कार्य असंभव नहीं है। वे हर परिस्थिति में अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं। यह हमें यह प्रेरणा देता है कि किसी भी चुनौती को अपनी कर्तव्यपरायणता और दृढ़ निष्ठा से हराया जा सकता है।
सियाराम मन में देख लो, छाती चीर डाली है
हनुमान जी ने अपनी छाती चीरकर भगवान राम और माता सीता की छवि को दिखाया।
गहरा अर्थ: यह दृश्य हनुमान जी की भक्ति का सर्वोच्च प्रतीक है। उनका यह कार्य केवल उनकी भक्ति नहीं, बल्कि उनके अस्तित्व के हर अंश में राम और सीता के प्रति अटूट प्रेम और निष्ठा को प्रकट करता है। यह घटना सिखाती है कि सच्ची भक्ति आत्मा से होती है, और जब हमारी भक्ति सच्ची होती है, तो वह किसी भी सीमा को पार कर सकती है।
राम सब काम करते, सब जियें राम के ही सहारे
हनुमान जी के अनुसार, इस संसार में सभी कार्य भगवान राम की कृपा से होते हैं।
गहरा अर्थ: यह पंक्ति उनके गहरे विश्वास और समर्पण को दर्शाती है। भगवान राम के प्रति हनुमान जी की श्रद्धा और यह स्वीकार करना कि सभी कार्य राम के ही नियंत्रण में हैं, हमें सिखाता है कि अहंकार से मुक्त होकर हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।
पर आपने तो है हनुमत, काम सब राम के भी सवारे
हनुमान जी भगवान राम के लिए भी कार्यों को आसान बनाते हैं।
गहरा अर्थ: हनुमान जी केवल भक्त ही नहीं, बल्कि भगवान राम के सबसे बड़े सहायक हैं। यह दर्शाता है कि जब एक व्यक्ति पूरी तरह से समर्पित होकर कार्य करता है, तो वह अपने आराध्य का भी प्रिय बन जाता है।
खाली कोई लौटा नहीं, गर का सवाली है
हनुमान जी के दरबार में जो भी भक्त आता है, वह खाली हाथ नहीं लौटता।
गहरा अर्थ: यह उनकी दया, कृपा और अपने भक्तों के प्रति प्रेम को दर्शाता है। जो भी उनके शरण में आता है, उसकी हर इच्छा पूर्ण होती है। यह हमें सिखाता है कि सच्चे दिल से की गई प्रार्थना हमेशा सुनी जाती है।
सरकार के दरबार से, कोई जाता ना खाली है
हनुमान जी के दरबार से कोई भी भक्त निराश होकर नहीं लौटता।
गहरा अर्थ: यह पंक्ति उनकी भक्ति और उनके प्रति अटूट विश्वास का प्रतीक है। भक्तों का विश्वास है कि हनुमान जी हर दुख को हरने की शक्ति रखते हैं।
भक्त वत्सल दीनानाथ हनुमत, दीन बंधू दया चाहता है
हनुमान जी को “भक्त वत्सल” और “दीनानाथ” कहा गया है।
गहरा अर्थ: भक्त वत्सल का अर्थ है भक्तों के लिए वात्सल्य रखने वाले। वे अपने भक्तों के हर दुख को समझते हैं और उनकी रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। यह हमें सिखाता है कि सच्चे भक्त को कभी अकेला नहीं छोड़ा जाता।
चरणों का चेला ‘मयंक’ है, कृपा भिक्षा सदा मांगता है
यह पंक्ति हनुमान जी के प्रति समर्पण और उनकी कृपा की याचना को दर्शाती है।
गहरा अर्थ: भक्त मयंक हनुमान जी के चरणों में अपने आपको समर्पित करता है। यह भक्ति और समर्पण की सबसे ऊंची अवस्था को दर्शाता है।
निष्कर्ष
इस भजन में हनुमान जी की महिमा और उनकी अद्वितीय क्षमताओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह न केवल उनकी शारीरिक शक्ति, बल्कि उनकी भक्ति, सेवा, और हर बाधा को पार करने की क्षमता को भी दर्शाता है। यह भजन हमें सिखाता है कि निडर होकर सच्चाई का साथ दें, अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाएं और सच्चे हृदय से भगवान का स्मरण करें।