- – यह गीत ठाकुर की गली में मिलने वाली खुशी और भाग्य का वर्णन करता है।
- – गीत में प्रेम और उत्साह की भावना स्पष्ट रूप से झलकती है, जहाँ मिलने की प्रतीक्षा में दिल में खलबली है।
- – गायक अपने प्रेमी के प्रति गहरा सम्मान और भक्ति प्रकट करता है, जिसे वह सिरमौर और चितचोर मानता है।
- – गीत में प्रेमी से मिलने की खुशी और जीवन के धन्य होने की अनुभूति व्यक्त की गई है।
- – गायक ‘लहरी’ नामक किसी व्यक्ति या भावना का उल्लेख करता है, जो सभी बातें जानता है और मिलन की खुशी को बढ़ाता है।
- – कुल मिलाकर, यह गीत प्रेम, भक्ति और भाग्य की खुशी का उत्सव है जो ठाकुर की गली में मिलने से जुड़ा है।

बड़े भाग से मिली मुझे,
ठाकुर की ये गली,
होगा क्या जब मिलेंगे वो,
होगा क्या जब मिलेंगे वो,
दिल में है खलबली,
बडे भाग से मिली मुझें,
ठाकुर की ये गली।।
पगला हूँ मैं तो श्याम का,
चितचोर वो मेरा,
रज धूल उसके पाँव की,
सिरमौर वो मेरा,
देखो उसी से खिल रही,
देखो उसी से खिल रही,
दिल की कली कली,
बडे भाग से मिली मुझें,
ठाकुर की ये गली।।
उसको निहार लूँ तो मेरी,
आंखें धन्य हो,
हंस के गले लगा ले मुझे,
जीना धन्य हो,
होंगी वहाँ विराजती,
होंगी वहाँ विराजती,
वृषभानु की लली,
बडे भाग से मिली मुझें,
ठाकुर की ये गली।।
अंदाज कैसा होगा बड़ा,
सोच मगन हूँ,
मिलना तो हो रहा है मेरा,
मैं प्रसन्न हूँ,
‘लहरी’ सभी वो जानता,
‘लहरी’ सभी वो जानता,
बाते जो बन चली,
बडे भाग से मिली मुझें,
ठाकुर की ये गली।।
बड़े भाग से मिली मुझे,
ठाकुर की ये गली,
होगा क्या जब मिलेंगे वो,
होगा क्या जब मिलेंगे वो,
दिल में है खलबली,
बडे भाग से मिली मुझें,
ठाकुर की ये गली।।
Singer – Uma Lahri Ji
