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बगलामुखी चालीसा in Hindi/Sanskrit

॥ दोहा ॥
सिर नवाइ बगलामुखी,
लिखूं चालीसा आज ॥कृपा करहु मोपर सदा,
पूरन हो मम काज ॥

॥ चौपाई ॥
जय जय जय श्री बगला माता ।
आदिशक्ति सब जग की त्राता ॥

बगला सम तब आनन माता ।
एहि ते भयउ नाम विख्याता ॥

शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी ।
असतुति करहिं देव नर-नारी ॥

पीतवसन तन पर तव राजै ।
हाथहिं मुद्गर गदा विराजै ॥ 4 ॥

तीन नयन गल चम्पक माला ।
अमित तेज प्रकटत है भाला ॥

रत्न-जटित सिंहासन सोहै ।
शोभा निरखि सकल जन मोहै ॥

आसन पीतवर्ण महारानी ।
भक्तन की तुम हो वरदानी ॥

पीताभूषण पीतहिं चन्दन ।
सुर नर नाग करत सब वन्दन ॥ 8 ॥

एहि विधि ध्यान हृदय में राखै ।
वेद पुराण संत अस भाखै ॥

अब पूजा विधि करौं प्रकाशा ।
जाके किये होत दुख-नाशा ॥

प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै ।
पीतवसन देवी पहिरावै ॥

कुंकुम अक्षत मोदक बेसन ।
अबिर गुलाल सुपारी चन्दन ॥ 12 ॥

माल्य हरिद्रा अरु फल पाना ।
सबहिं चढ़इ धरै उर ध्याना ॥

धूप दीप कर्पूर की बाती ।
प्रेम-सहित तब करै आरती ॥

अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे ।
पुरवहु मातु मनोरथ मोरे ॥

मातु भगति तब सब सुख खानी ।
करहुं कृपा मोपर जनजानी ॥ 16 ॥

त्रिविध ताप सब दुख नशावहु ।
तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु ॥

बार-बार मैं बिनवहुं तोहीं ।
अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं ॥

पूजनांत में हवन करावै ।
सा नर मनवांछित फल पावै ॥

सर्षप होम करै जो कोई ।
ताके वश सचराचर होई ॥ 20 ॥

तिल तण्डुल संग क्षीर मिरावै ।
भक्ति प्रेम से हवन करावै ॥

दुख दरिद्र व्यापै नहिं सोई ।
निश्चय सुख-सम्पत्ति सब होई ॥

फूल अशोक हवन जो करई ।
ताके गृह सुख-सम्पत्ति भरई ॥

फल सेमर का होम करीजै ।
निश्चय वाको रिपु सब छीजै ॥ 24 ॥

गुग्गुल घृत होमै जो कोई ।
तेहि के वश में राजा होई ॥

गुग्गुल तिल संग होम करावै ।
ताको सकल बंध कट जावै ॥

बीलाक्षर का पाठ जो करहीं ।
बीज मंत्र तुम्हरो उच्चरहीं ॥

एक मास निशि जो कर जापा ।
तेहि कर मिटत सकल संतापा ॥ 28 ॥

घर की शुद्ध भूमि जहं होई ।
साध्का जाप करै तहं सोई ॥

सेइ इच्छित फल निश्चय पावै ।
यामै नहिं कदु संशय लावै ॥

अथवा तीर नदी के जाई ।
साधक जाप करै मन लाई ॥

दस सहस्र जप करै जो कोई ।
सक काज तेहि कर सिधि होई ॥ 32 ॥

जाप करै जो लक्षहिं बारा ।
ताकर होय सुयशविस्तारा ॥

जो तव नाम जपै मन लाई ।
अल्पकाल महं रिपुहिं नसाई ॥

सप्तरात्रि जो पापहिं नामा ।
वाको पूरन हो सब कामा ॥

नव दिन जाप करे जो कोई ।
व्याधि रहित ताकर तन होई ॥ 36 ॥

ध्यान करै जो बन्ध्या नारी ।
पावै पुत्रादिक फल चारी ॥

प्रातः सायं अरु मध्याना ।
धरे ध्यान होवैकल्याना ॥

कहं लगि महिमा कहौं तिहारी ।
नाम सदा शुभ मंगलकारी ॥

पाठ करै जो नित्या चालीसा ।
तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा ॥ 40 ॥

॥ दोहा ॥
सन्तशरण को तनय हूं,
कुलपति मिश्र सुनाम ।
हरिद्वार मण्डल बसूं ,
धाम हरिपुर ग्राम ॥

उन्नीस सौ पिचानबे सन् की,
श्रावण शुक्ला मास ।
चालीसा रचना कियौ,
तव चरणन को दास ॥

Baglamukhi Chalisa in English

॥ Doha ॥
Sir navai Baglamukhi,
Likhoon Chalisa aaj.
Kripa karahu mopar sada,
Puran ho mam kaaj.

॥ Chaupai ॥
Jai Jai Jai Shri Bagla Mata,
Adishakti sab jag ki trata.

Bagla sam tab aanan mata,
Ehi te bhayu naam vikhyata.

Shashi lalat kundal chhavi nyari,
Astuti karahin dev nar-nari.

Pitvasan tan par tav rajai,
Hathahi mudgar gada virajai.

Teen nayan gal champak mala,
Amit tej prakatat hai bhaala.

Ratna-jatit singhasan sohai,
Shobha nirkhi sakal jan mohai.

Aasan pitvarn Maharani,
Bhaktan ki tum ho vardani.

Pitabhushan pitahi chandan,
Sur nar naag karat sab vandan.

Ehi vidhi dhyan hriday mein rakhai,
Ved puran sant as bhakhai.

Ab pooja vidhi karau prakaasha,
Jake kiye hot dukh-nasha.

Prathamh pit dhwaja phaharaavai,
Pitvasan devi pahiraavai.

Kunkum akshat modak besan,
Abir gulaal supari chandan.

Maalya haridra aru phal paana,
Sabhin chadhai dharai ur dhyana.

Dhoop deep karpoor ki baati,
Prem-sahit tab karai aarti.

Astuti karai haath dou jore,
Purvahu maatu manorath more.

Maatu bhakti tab sab sukh khaani,
Karahu kripa mopar jan jaani.

Trividha taap sab dukh nashaavahu,
Timir mitaakar gyaan badhaavahu.

Baar-baar main binavahu tohi,
Aviral bhakti gyaan do mohi.

Poojanant mein havan karaavai,
Sa nar manvaanchhit phal paavai.

Sarshap hom karai jo koi,
Take vash sacharachar hoi.

Til tandul sang ksheer miraavai,
Bhakti prem se havan karaavai.

Dukh daridra vyaapai nahi soi,
Nischay sukh-sampatti sab hoi.

Phool ashoka havan jo karai,
Take griha sukh-sampatti bharai.

Phal semar ka hom kareejai,
Nischay wako ripu sab cheejai.

Guggul ghrita homai jo koi,
Tehi ke vash mein raja hoi.

Guggul til sang hom karaavai,
Take sakal bandh kat jaavai.

Bilakshar ka paath jo karahin,
Beej mantra tumharo uchcharahin.

Ek maas nishi jo kar jaapa,
Tehi kar mitat sakal santaapa.

Ghar ki shuddh bhoomi jahan hoi,
Saadhak jaap karai tahan soi.

Sei ichchhit phal nischay paavai,
Yaamai nahin kadu sanshay laavai.

Athva teer nadi ke jaai,
Saadhak jaap karai man laai.

Das sahasra jap karai jo koi,
Sakal kaaj tehi kar siddhi hoi.

Jaap karai jo lakshahi baara,
Taakar hoy suyesh vistara.

Jo tav naam japai man laai,
Alpakaal mein ripu hin nasai.

Saptaratra jo paapai naama,
Wako poorn ho sab kaama.

Nav din jaap kare jo koi,
Vyaadhi rahit taakar tan hoi.

Dhyan karai jo bandhyaa naari,
Paavai putraadik phal chaari.

Praatah saayam aru madhyaana,
Dhare dhyaan hovaikalyana.

Kah lag mahima kahun tihari,
Naam sadaa shubh mangalkari.

Paath karai jo nitya Chaalisa,
Tehi par kripa karahin Gaurisha.

॥ Doha ॥
Santasharan ko tanay hoon,
Kulapati Mishra sunam.
Haridwar mandal basoon,
Dhaam Haripur gram.

Unnees sau pichaanbe san ki,
Shravan Shukla maas.
Chaalisa rachna kiya,
Tav charanan ko daas.

बगलामुखी चालीसा PDF Download

बगलामुखी चालीसा का अर्थ

बगलामुखी माता को अद्वितीय शक्ति और त्रास से रक्षा करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। उनका भक्तों के जीवन में विशेष महत्व है क्योंकि वे शत्रुओं का नाश करती हैं और सभी प्रकार के कष्टों को दूर करती हैं। बगलामुखी माता की आराधना करने से सुख, समृद्धि, और सुरक्षा प्राप्त होती है। उनके चालीसा में बगलामुखी माता की महिमा और कृपा का वर्णन किया गया है।

इस चालीसा में माता की स्तुति, उनकी पूजा विधि, और उनके आशीर्वाद से होने वाले लाभों का विस्तृत वर्णन मिलता है। यह चालीसा न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि भौतिक सफलताओं को भी हासिल करने में मददगार मानी जाती है।

दोहा

सिर नवाइ बगलामुखी,
लिखूं चालीसा आज।
कृपा करहु मोपर सदा,
पूरन हो मम काज।

बगलामुखी माता की स्तुति

जय जय जय श्री बगला माता।
आदिशक्ति सब जग की त्राता।

बगलामुखी माता की महिमा अपार है। वे आदिशक्ति हैं और संसार की रक्षा करती हैं। उनका स्तुति गान समस्त देवी-देवताओं द्वारा किया जाता है, जिससे उनकी अनंत शक्ति और महानता का बखान होता है।

माता का रूप और स्वरूप

बगला सम तब आनन माता।
एहि ते भयउ नाम विख्याता।

माता बगलामुखी का रूप अत्यंत विख्यात है। उनका चेहरा पीले वस्त्रों से सुसज्जित रहता है और उनकी अद्वितीय छवि सभी को सम्मोहित करती है।

माता का श्रृंगार और अस्त्र

शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी।
असतुति करहिं देव नर-नारी।

माता बगलामुखी के शशि-ललाट और कुण्डल अद्वितीय हैं। देवी के हाथों में मुद्गर और गदा है, जो उनकी रक्षक और शत्रुनाशक शक्ति को दर्शाते हैं।

पूजा विधि का वर्णन

अब पूजा विधि करौं प्रकाशा।
जाके किये होत दुख-नाशा।

माता बगलामुखी की पूजा विधि का पालन करने से दुखों का नाश होता है। पूजा में पीले वस्त्र धारण कर, कुंकुम, अक्षत, मोदक, और चन्दन का प्रयोग किया जाता है। यह पूजा भक्तों को असीम शक्ति और आशीर्वाद प्रदान करती है।

हवन का महत्व

सर्षप होम करै जो कोई।
ताके वश सचराचर होई।

बगलामुखी माता की आराधना में सर्षप (सरसों) से हवन करने का विशेष महत्व है। यह हवन करने से भक्त संसार पर विजय प्राप्त करता है और उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं।

जप का महत्व

दस सहस्र जप करै जो कोई।
सक काज तेहि कर सिधि होई।

जो भक्त दस हजार बार जप करता है, उसके सभी कार्य सफल होते हैं। लक्ष बार जप करने से व्यक्ति विशेष यश प्राप्त करता है और उसकी सभी समस्याएं समाप्त होती हैं।

माता की महिमा

कहं लगि महिमा कहौं तिहारी।
नाम सदा शुभ मंगलकारी।

बगलामुखी माता का नाम शुभ और मंगलकारी है। उनकी महिमा इतनी विस्तृत है कि उसका वर्णन करना कठिन है। जो भी भक्त नियमित रूप से चालीसा का पाठ करता है, उसे माता की कृपा सदा प्राप्त होती है।

बगलामुखी माता की उपासना का महत्व

बगलामुखी माता को विजय और शक्ति की देवी माना जाता है। उनके नाम का अर्थ ही “वाणी को नियंत्रित करने वाली” है। उनका ध्यान करने से शत्रु की वाणी और बुद्धि निष्क्रिय हो जाती है, जिससे उनके प्रभाव और प्रभावशाली शक्ति को भक्त अनुभव करते हैं। माता बगलामुखी की उपासना विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी मानी जाती है, जो न्याय, कानून, या राजनीति से जुड़े होते हैं, क्योंकि वे सत्य और न्याय के पक्षधर मानी जाती हैं।

बगलामुखी माता का विशेष स्वरूप

माता बगलामुखी का स्वरूप पीले रंग से जुड़ा हुआ है। इसलिए उनकी पूजा में पीले वस्त्र, पीले पुष्प और पीली सामग्री का उपयोग प्रमुख होता है। उनके तीन नेत्र ज्ञान, शक्ति और सत्य को दर्शाते हैं, जबकि उनके हाथ में स्थित मुद्गर और गदा शत्रुओं पर प्रहार करने की शक्ति का प्रतीक हैं। वे सिंहासन पर विराजमान होती हैं, जिससे उनका साहस और बल प्रकट होता है।

बगलामुखी चालीसा के नियमित पाठ का महत्व

बगलामुखी चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में शांति और सफलता प्राप्त होती है। यह न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि भौतिक जीवन में भी लाभ देती है। चालीसा पढ़ने से व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास बढ़ता है और वह संकटों का सामना कर पाता है।

बगलामुखी माता का जप और अनुष्ठान

माता बगलामुखी की साधना और जप विशेष रूप से शक्तिशाली मानी जाती है। जप के साथ यदि हवन किया जाए, तो इसके लाभ कई गुना बढ़ जाते हैं। साधक गुग्गुल, सरसों, तिल, और चन्दन से हवन कर सकता है। यह रिपुओं का नाश करने और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में सहायक होता है।

बगलामुखी माता के मंत्रों का प्रभाव

बगलामुखी मंत्र का जाप साधक के जीवन में विशेष प्रभाव डालता है। यह मंत्र शत्रुओं को परास्त करने, मुकदमों में जीत दिलाने और कठिन परिस्थितियों से बाहर निकालने में सहायक होते हैं। जो भक्त नियमित रूप से इन मंत्रों का जाप करता है, उसे सभी कार्यों में सफलता मिलती है।

साधना की विशेष विधि

बगलामुखी माता की साधना करते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए कि शुद्धता का पालन हो। साधक को विशुद्ध भूमि पर बैठकर जप और ध्यान करना चाहिए। साधना के लिए सबसे उपयुक्त स्थान नदी तट या तीर्थ स्थान माने जाते हैं, लेकिन घर की शुद्ध भूमि पर भी यह साधना की जा सकती है।

बगलामुखी माता का आशीर्वाद

माता बगलामुखी की कृपा से व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है। वे अपने भक्तों को धन, वैभव, और स्वास्थ्य का आशीर्वाद देती हैं। उनका ध्यान करने से व्यक्ति तीनों तापों (आधिभौतिक, आधिदैविक, और आध्यात्मिक) से मुक्ति पा सकता है। उनकी आराधना से जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता का आगमन होता है।

निष्कर्ष

बगलामुखी चालीसा और उनकी उपासना जीवन में कठिनाइयों को समाप्त करने का एक अद्वितीय साधन है। देवी बगलामुखी की महिमा और उनके मंत्रों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में शत्रुओं का नाश, रोगों से मुक्ति, और सभी प्रकार के संकटों से उबरने की क्षमता प्रदान करता है। उनके आशीर्वाद से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सफलता, और सुख का आगमन होता है।

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