- – यह गीत बजरंग बली (हनुमान जी) की भक्ति में लिखा गया है, जिसमें भक्त अपने श्रद्धा सुमन लेकर उनके द्वार पर आते हैं।
- – गीत में भक्त की मिन्नत और आस्था व्यक्त की गई है कि बाबा उनकी प्यास और दुखों को मिटाएं।
- – भक्त अपने दुख और हार के बाद भी हनुमान जी की शरण में आते हैं और उनसे कृपा की प्रार्थना करते हैं।
- – यह भजन भक्तों के मन की वेदना और हनुमान जी के प्रति पूर्ण विश्वास को दर्शाता है।
- – गीत में बार-बार दोहराया गया है कि भक्त हनुमान जी के द्वार पर हैं और उनसे आशीर्वाद की उम्मीद रखते हैं।
बजरंग पलके उठाओ, द्वार पे भक्त आये हैँ,
( तर्ज :- बहारो फूल बरसाओ )
बजरंग पलके उठाओ, द्वार पे भक्त आये हैँ,
द्वार पे भक्त आये हैँ।
चरणोँ मेँ चढाने को, श्रद्धा सुमन लाये हैँ,
श्रद्धा सुमन लाये हैँ॥
बजरंग पलकेँ …
जो मिले, झलक तेरी, मिटे प्यास इन आँखोँ की।
मैँने सुना, मेरे बाबा, तूने की पूरी आस लाखोँ की।
हमपे भी प्यार बरसाओ, द्वार पे भक्त आये हैँ॥१॥
द्वार पे …
तेरे सिवा, बाबा मेरे, जग मेँ ना कोई मेरा है।
हारके, दुखोँ से, डाला दर पे तेरे डेरा है।
ऐसे ना हमेँ ठुकराओ, द्वार पे भक्त आये हैँ॥२॥
द्वार पे …
जो तेरे, द्वारे पे आके, शीश चरणोँ मेँ झुकाता।
खुशियोँ , से उसका , दामन है भर जाता।
हमारे भी कष्ट मिटाओ, तेरी शरण मेँ आये हैँ॥३॥
द्वार पे …
जो छोड़ा, हाथ मेरा, तो फिर किधर जायेंगे।
हो जाये, कृपा तेरी, काम ‘खेदड़’ के बन जायेँगे।
अब और न तरसाओ, नैन हमारे भर आये हैँ॥४॥
द्वार पे …
बजरंग पलके उठाओ, द्वार पे भक्त आये हैँ,
द्वार पे भक्त आये हैँ।
चरणोँ मेँ चढाने को, श्रद्धा सुमन लाये हैँ,
श्रद्धा सुमन लाये हैँ॥
बजरंग पलके … “By Pkhedar”
