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बजरंगी महाराज, तुम्हे भक्त बुलाते है: भजन (Bajrangi Maharaj Tumhe Bhakt Bulate Hai)

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बजरंगी महाराज,
तुम्हे भक्त बुलाते है,
तुम्हे शीश झुकाते है ॥

अज्ञान बालक है,
चरणों के पायक है,
तू ही सिरमौर है,
नादान बिलकुल है,
ये बात सच्ची है,
तेरे बिन नहीं और है,
बैठे ले उम्मीद,
तुमको आज रिझाते है,
तुम्हे शीश झुकाते है ॥

तुम वीर बलकारी,
शंकर के अवतारी,
अजब तेरी शान है,
तू राम का प्यारा,
तू श्याम का प्यारा,
बड़ा तू गुणवान है,
जल्दी आ जाओ,
तेरी ज्योत जलाते है,
तुम्हे शीश झुकाते है ॥

भक्ति का दाता है,
शक्ति का दाता है,
वीर बलधारी हो,
जो भी शरण आया,
खाली ना लौटाया,
बड़े उपकारी हो,
अभय दान दे दो,
यही आस लगाते है,
तुम्हे शीश झुकाते है ॥

दीनो के हितकारी,
अर्जी सुनो म्हारी,
प्रभु सिर हाथ धरो,
लेकर तुम्हारा नाम,
करते तुम्हे प्रणाम,
हमें भव पार करो,
‘जयराम’ बलिहारी,
तुम्हे भजन सुनाते है,
तुम्हे शीश झुकाते है ॥

बजरंगी महाराज,
तुम्हे भक्त बुलाते है,
तुम्हे शीश झुकाते है ॥

बजरंगी महाराज, तुम्हे भक्त बुलाते है: भजन का गहन विश्लेषण

प्रारंभिक विचार

यह भजन भगवान हनुमान की स्तुति में लिखा गया है, जिसमें एक भक्त अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोता है। यह सिर्फ एक प्रार्थना नहीं है, बल्कि भक्ति, समर्पण और जीवन के हर पहलू में भगवान की सहायता की याचना का प्रतीक है। प्रत्येक पंक्ति में गहराई से आध्यात्मिक अर्थ छिपा हुआ है, जो जीवन के आदर्श, विनम्रता और शक्ति के संदेश को प्रकट करता है।


बजरंगी महाराज, तुम्हे भक्त बुलाते है

इस पंक्ति में ‘बजरंगी’ नाम का अर्थ समझना आवश्यक है। ‘बजरंगी’ का अर्थ है ‘वज्र के समान बलशाली।’ यह नाम हनुमान जी की असाधारण शक्ति और साहस का प्रतीक है। ‘तुम्हे भक्त बुलाते है’ यह केवल एक सामान्य संबोधन नहीं है, बल्कि हनुमान जी की व्यापक लोकप्रियता और उनकी दिव्यता को दर्शाता है। भक्तगण उन्हें हर स्थिति में याद करते हैं—दुख में सांत्वना के लिए, भय में सुरक्षा के लिए, और प्रसन्नता में उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए।

गहराई:
इस पंक्ति में निहित भाव यह है कि भक्तगण अपनी कठिनाइयों के समाधान और आंतरिक शांति के लिए हनुमान जी को पुकारते हैं। यह पुकार केवल संकट के समय की नहीं होती, बल्कि यह भक्ति और प्रेम का एक निरंतर प्रवाह है।


तुम्हे शीश झुकाते है

इस वाक्य में शीश झुकाना केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं है, बल्कि इसका अर्थ आत्मसमर्पण और विनम्रता है। भक्त जब अपने सिर को भगवान के चरणों में झुकाते हैं, तो यह उनके अहंकार को छोड़ने और हनुमान जी के प्रति पूर्ण श्रद्धा व्यक्त करने का प्रतीक है।

गहराई:
शीश झुकाने का अर्थ यह भी है कि भक्त अपने जीवन की हर छोटी-बड़ी समस्या का समाधान भगवान पर छोड़ देते हैं। यह एक ऐसा प्रतीक है जो दर्शाता है कि सच्ची भक्ति के लिए अहंकार और स्वार्थ को त्यागना अनिवार्य है।


अज्ञान बालक है, चरणों के पायक है

भक्त स्वयं को एक बालक के रूप में प्रस्तुत करता है, जो अपने अज्ञान और सीमित क्षमताओं को पहचानता है। ‘चरणों के पायक’ शब्दों से यह भाव प्रकट होता है कि भक्त अपने आपको भगवान के चरणों का सेवक मानता है।

गहराई:
यह पंक्तियाँ इस सत्य को दर्शाती हैं कि भक्ति का पहला कदम है स्वयं को पहचानना। जब भक्त अपने अज्ञान को स्वीकार करता है और अपने मन को भगवान के चरणों में समर्पित करता है, तभी वह सच्चे अर्थों में भक्ति का अनुभव कर सकता है। भगवान के चरण ‘सुरक्षा’ और ‘मार्गदर्शन’ का प्रतीक हैं।


तू ही सिरमौर है, नादान बिलकुल है

इस पंक्ति में ‘सिरमौर’ शब्द का अर्थ है सर्वोच्च। भक्त हनुमान जी को अपना सर्वोच्च मार्गदर्शक और सहारा मानता है। ‘नादान बिलकुल है’ शब्दों के माध्यम से भक्त अपनी सीमाओं और अनुभवहीनता को प्रकट करता है।

गहराई:
यहां सिरमौर शब्द इस बात को दर्शाता है कि भक्त हनुमान जी को जीवन के हर क्षेत्र में अपना आदर्श मानता है। भक्त का नादान होना इस बात का प्रतीक है कि मानव को अपनी सीमाओं का बोध होना चाहिए, तभी वह भगवान की महत्ता को समझ सकता है।


तेरे बिन नहीं और है

यह पंक्ति भक्ति के गहरे भाव को व्यक्त करती है। भक्त कहता है कि हनुमान जी के बिना उसका कोई और सहारा नहीं है।

गहराई:
यहाँ भक्त भगवान के प्रति अपने अटूट विश्वास को व्यक्त करता है। यह विश्वास यह दर्शाता है कि जीवन में कितनी भी कठिनाई क्यों न आए, हनुमान जी की कृपा से सब संभव है। यह पूर्ण समर्पण का प्रतीक है, जो भक्ति की पराकाष्ठा को दर्शाता है।


बैठे ले उम्मीद, तुमको आज रिझाते है

भक्त यहां अपनी प्रार्थना में एक विनम्र आग्रह करता है। वह कहता है कि उसने भगवान को प्रसन्न करने की पूरी कोशिश की है।

गहराई:
यह पंक्ति भक्ति में ‘प्रयास’ के महत्व को दर्शाती है। भक्त यह मानता है कि भगवान को प्रसन्न करने के लिए केवल प्रार्थना करना पर्याप्त नहीं है; इसके साथ-साथ सही आचरण और प्रेम भी आवश्यक है।


तुम वीर बलकारी, शंकर के अवतारी

इस पंक्ति में हनुमान जी की उत्पत्ति और उनके गुणों का उल्लेख किया गया है। हनुमान जी ‘शंकर के अवतारी’ हैं, अर्थात वे भगवान शिव के अंश हैं।

गहराई:
यह पंक्तियाँ हनुमान जी के महान व्यक्तित्व और उनकी दिव्य शक्ति को दर्शाती हैं। वे केवल शक्ति और वीरता के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि उनकी आध्यात्मिक गहराई भी अद्वितीय है। भगवान शिव का अंश होने के कारण वे ज्ञान, ध्यान और आत्मसंयम के भी प्रतीक हैं।


अजब तेरी शान है

हनुमान जी की ‘शान’ या महिमा की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। भक्त यहां यह कहता है कि हनुमान जी का वैभव और उनकी शक्ति अद्वितीय है।

गहराई:
यह पंक्ति भगवान की असीम महिमा और भक्त के प्रति उनके प्रेम को उजागर करती है। यह संदेश देती है कि हनुमान जी की कृपा प्राप्त करना जीवन को धन्य बना सकता है।


तू राम का प्यारा, तू श्याम का प्यारा

हनुमान जी की भक्ति का मुख्य आधार भगवान राम के प्रति उनकी निष्ठा है। इस पंक्ति में भक्त हनुमान जी की विशेषता को दोहराते हैं कि वे केवल भगवान राम के ही नहीं, बल्कि भगवान श्याम (कृष्ण) के भी प्रिय हैं।

गहराई:
यह पंक्ति यह संकेत देती है कि हनुमान जी के हृदय में भक्ति के प्रति कोई भेदभाव नहीं है। राम के प्रति उनकी अनन्य भक्ति सभी भक्तों के लिए एक प्रेरणा है। भगवान राम और कृष्ण की भक्ति का संगम दर्शाता है कि हनुमान जी प्रत्येक युग और हर रूप में भगवान के प्रति समान श्रद्धा रखते हैं।


बड़ा तू गुणवान है

हनुमान जी के गुण अनंत हैं। वे बल, बुद्धि, भक्ति, विनम्रता, और करुणा के प्रतीक हैं। भक्त इन गुणों का उल्लेख करते हुए उनकी स्तुति करता है।

गहराई:
यह पंक्ति यह समझाती है कि सच्चा भक्त वही होता है, जो भगवान के गुणों को समझे और उन्हें अपने जीवन में धारण करने का प्रयास करे। हनुमान जी के गुणों की प्रशंसा केवल उनकी शक्ति के लिए नहीं, बल्कि उनकी नम्रता और सेवा-भाव के लिए भी की जाती है।


जल्दी आ जाओ, तेरी ज्योत जलाते है

यहाँ भक्त अपनी प्रार्थना को और अधिक भावनात्मक बना देता है। वह भगवान को बुलाने के लिए ज्योत जलाता है, जो प्रतीकात्मक रूप से भगवान के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को प्रकट करता है।

गहराई:
ज्योत जलाना केवल एक भौतिक प्रक्रिया नहीं है; यह आत्मा की शुद्धता और भक्ति का प्रतीक है। भक्त अपने जीवन के हर अंधकार को भगवान की ज्योत से प्रकाशमय करना चाहता है। इस पंक्ति में भक्त का विश्वास और प्रतीक्षा का अद्भुत संतुलन दिखता है।


भक्ति का दाता है, शक्ति का दाता है

हनुमान जी भक्ति और शक्ति के स्रोत हैं। वे न केवल भक्तों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते हैं, बल्कि शारीरिक और मानसिक शक्ति भी प्रदान करते हैं।

गहराई:
यह पंक्ति भगवान के दो प्रमुख पहलुओं को दर्शाती है—भक्ति और शक्ति। भक्ति आत्मा की शुद्धता के लिए आवश्यक है, और शक्ति जीवन के संघर्षों को सहन करने के लिए। हनुमान जी दोनों को प्रदान करते हैं, जिससे भक्त अपने जीवन को संतुलित और उन्नत बना सके।


वीर बलधारी हो

हनुमान जी की वीरता और बल अपार है। वे सभी कठिनाइयों और असुरों का नाश करने में सक्षम हैं।

गहराई:
यह पंक्ति हनुमान जी के रक्षक स्वरूप का प्रतीक है। उनकी वीरता केवल भौतिक शक्ति तक सीमित नहीं है; यह मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति का भी प्रतीक है। यह संदेश देती है कि जो व्यक्ति उनके प्रति समर्पित है, वह किसी भी बाधा को पार कर सकता है।


जो भी शरण आया, खाली ना लौटाया

यह पंक्ति हनुमान जी की कृपालुता को उजागर करती है। वे कभी भी किसी को निराश नहीं करते। उनकी शरण में आने वाला हर व्यक्ति अपने कष्टों से मुक्ति पाता है।

गहराई:
यह पंक्ति इस सत्य को दर्शाती है कि भगवान की शरण में आना सबसे बड़ा उपाय है। उनकी कृपा असीमित है, और वे हर व्यक्ति को अपनी क्षमताओं और जरूरतों के अनुसार आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यह भक्ति में विश्वास को प्रबल करता है।


बड़े उपकारी हो

यह पंक्ति भगवान की उदारता और उनके प्रति भक्तों की कृतज्ञता को व्यक्त करती है।

गहराई:
उपकारी शब्द का अर्थ है ‘सहायता करने वाला।’ यह पंक्ति इस बात को दर्शाती है कि भगवान न केवल भौतिक, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी सहायता करते हैं। भक्त अपनी हर सफलता और हर आनंद के लिए भगवान को धन्यवाद देता है।


अभय दान दे दो, यही आस लगाते है

भक्त हनुमान जी से भय से मुक्ति और साहस का आशीर्वाद मांगता है।

गहराई:
अभय दान केवल शारीरिक भय से मुक्ति नहीं है; यह मानसिक और आत्मिक भय से भी मुक्ति का प्रतीक है। यह पंक्ति यह सिखाती है कि सच्चा भक्त वही है, जो भगवान की कृपा से अपने भीतर की असुरक्षा और भय को दूर कर सके।


दीनो के हितकारी, अर्जी सुनो म्हारी

भक्त यह मानता है कि हनुमान जी दीन-दुखियों के उद्धारक हैं। वह उनसे अपनी अर्ज़ी सुनने का आग्रह करता है।

गहराई:
यह पंक्ति भगवान की करुणा और भक्तों के प्रति उनके प्रेम को दर्शाती है। हनुमान जी की विशेषता है कि वे प्रत्येक भक्त की प्रार्थना को सुनते हैं और उनकी सहायता करते हैं, चाहे उनकी स्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।


प्रभु सिर हाथ धरो

भक्त हनुमान जी से यह प्रार्थना करता है कि वे कृपापूर्वक अपना हाथ उसके सिर पर रखें।

गहराई:
यह पंक्ति भगवान की कृपा और उनके आशीर्वाद का प्रतीक है। भक्त मानता है कि भगवान का सिर पर हाथ रखना, न केवल उसकी सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, बल्कि उसे आध्यात्मिक शक्ति और शांति भी प्रदान करता है।


लेकर तुम्हारा नाम, करते तुम्हे प्रणाम

भगवान का नाम लेकर उन्हें प्रणाम करना भक्ति की सरलता और गहराई दोनों को दर्शाता है।

गहराई:
भगवान का नाम एक ऐसी शक्ति है, जो हर समस्या को हल कर सकती है। यह पंक्ति यह सिखाती है कि केवल नाम स्मरण और विनम्रता से भी भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है।


हमें भव पार करो

यह पंक्ति मोक्ष की याचना को प्रकट करती है। भक्त हनुमान जी से इस संसार के दुखों और बंधनों से मुक्ति की प्रार्थना करता है।

गहराई:
यह संसार ‘भवसागर’ है, जिसे पार करना हर जीव का लक्ष्य है। यह पंक्ति भक्ति की पराकाष्ठा को दर्शाती है, जिसमें भक्त अपने जीवन की अंतिम उद्देश्य—मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करता है।


‘जयराम’ बलिहारी, तुम्हे भजन सुनाते है

भक्त भगवान राम के जयकारे के साथ अपनी भक्ति व्यक्त करता है। हनुमान जी की महिमा का गान करना, राम के प्रति उनकी निष्ठा का सम्मान है।

गहराई:
यह पंक्ति भक्त और भगवान के बीच के गहरे संबंध को दर्शाती है। यह संदेश देती है कि सच्चा भक्त केवल भगवान की महिमा का गान करने में ही अपना जीवन सफल मानता है।


निष्कर्ष

यह भजन केवल हनुमान जी की महिमा का वर्णन नहीं है, बल्कि भक्ति का गहन मार्गदर्शन भी प्रदान करता है। इसमें भक्त अपने हर पहलू को भगवान के समक्ष प्रस्तुत करता है—अपनी सीमाएँ, अपनी अपेक्षाएँ और अपनी श्रद्धा। हर पंक्ति में भक्ति का एक नया आयाम प्रकट होता है, जो एक साधक को आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है।

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