मुख्य बिंदु
- – गीत में राधिका और बिरज की छोरी के बीच विवाह की बात हो रही है, जिसमें विवाह की इच्छा और चिंता व्यक्त की गई है।
- – विवाह के लिए उम्र और नजर की शर्तों का उल्लेख है, साथ ही विवाह न होने पर परिवार की समस्याओं का जिक्र है।
- – दुल्हन के लिए भव्य भोज और पारंपरिक रस्मों का वर्णन किया गया है, जिसमें छप्पन प्रकार के व्यंजन शामिल हैं।
- – गीत में कान्हा (कृष्ण) की माता की भूमिका और उनकी भावनाओं को दर्शाया गया है, जो अपने लाल की सुरक्षा और खुशहाली की कामना करती हैं।
- – विवाह के अवसर पर पारिवारिक सदस्यों की भागीदारी और उत्साह का चित्रण किया गया है, जिसमें दाऊ और अन्य लोग शामिल हैं।

भजन के बोल
राधिका गोरी से बिरज की छोरी से,
मैया करादे मेरो ब्याह
उम्र तेरी छोटी है, नज़र तेरी खोटी है,
कैसे करादू तेरो ब्याह
जो नहीं ब्याह कराये, तेरी गैया नहीं चराऊ
आज के बाद मेरी मैया तेरी देहली पर न आऊँ
आएगा रे मज़्ज़ा रे मज़्ज़ा अब जीत हार का
॥ राधिका गोरी से बिरज की छोरी से…॥
चन्दन की चौकी पर मैया तुझको बिठाऊँ
अपनी राधा से मैं चरण तेरे दबवाऊं
भोजन मैं बनवाऊंगा बनवाऊंगा, छप्पन प्रकार के
॥ राधिका गोरी से बिरज की छोरी से…॥
छोटी सी दुल्हनिया जब अंगना में डोलेगी
तेरे सामने मैया वो घूँघट न खोलेगी
दाऊ से जा कहो जा कहो बैठेंगे द्वार पे
॥ राधिका गोरी से बिरज की छोरी से…॥
सुन बातें कान्हा की मैया बैठी मुस्काएं
लेके बलैयां मैया हिवडे से अपने लगाये
नज़र कहीं लग जाये न लग जाये न मेरे लाल को
॥ राधिका गोरी से बिरज की छोरी से…॥
राधिका गोरी से बिराज की छोरी से
कान्हा कारादू तेरो बियाह
