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- – बालाजी के कीर्तन में आज दरबार सजाया गया है, जिसमें भक्त उनकी भक्ति में लीन हैं।
- – कीर्तन में ज्योत जलाकर और सवा मणि का भोग लगाकर बालाजी का स्वागत किया जाता है।
- – कोतवाल भैरव और प्रेतराज को भी कीर्तन में लाने का उल्लेख है, जो सभी का उद्धार करते हैं।
- – बालाजी के नाम की माला और फेरी निकाली जाती है, जिससे अंधकार दूर होकर उजाला फैलता है।
- – यह कीर्तन राम के आज्ञाकार बालाजी के प्रति समर्पित है, जो भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।

आज सजाया दरबार,
बालाजी आओ कीर्तन में,
राम के आज्ञाकार,
बालाजी आओ कीर्तन में।।
ज्योत जगाये तुम्हे मनाये,
सवा मणि का भोग लगाए,
ज्योत जगाये तुम्हे मनाये,
सवा मणि का बाबा भोग लगाए,
आके दो दीदार,
बालाजी आओ कीर्तन में।।
कोतवाल भैरव को लाना,
प्रेतराज को भूल ना जाना,
कोतवाल भैरव को लाना,
प्रेतराज को भूल भी ना जाना,
कर दो सभी का उध्दार,
बालाजी आओ कीर्तन में।।
तेरे नाम की फेरी है माला,
आके कर दो घट में उजाला,
बाबा तेरे नाम की फेरी है माला,
आके कर दो घट में उजाला,
दूर करो अंधकार,
बालाजी आओ कीर्तन में।।
आज सजाया दरबार,
बालाजी आओ कीर्तन में,
राम के आज्ञाकार,
बालाजी आओ कीर्तन में।।
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
