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- – यह भजन बालाजी के प्रति गहरे प्रेम और भक्ति को दर्शाता है, जिसमें भक्त अपनी दीवानगी और बावलापन व्यक्त करता है।
- – भजन में भक्त ने बालाजी के नाम के बिना जीवन अधूरा और कठिन बताया है, जिससे उसकी व्याकुलता और प्रेम की तीव्रता झलकती है।
- – भक्त ने बालाजी की भक्ति में अपने तन और मन की स्थिति का वर्णन किया है, जैसे तन की सुख लाकड़ी होना और सावला या रावला सा हो जाना।
- – भजन में पारंपरिक सांस्कृतिक तत्वों का समावेश है, जैसे देशी घी में चुरमा बनाना और हरियाणा के स्थानीय संदर्भ।
- – गायक नरेंद्र कौशिक द्वारा प्रस्तुत यह भजन राकेश कुमार जी (खरक जाटान, रोहतक) द्वारा प्रेषित है, जो स्थानीय भक्ति संगीत का हिस्सा है।

बालाजी दीवाना तेरा,
बावला सा हो गया।।
तेरे प्यार में बण गया जोगी,
ला धुणा होया नाम का रोगी,
तन की सुख लाकड़ी हो गयी,
मैं सावला सा हो गया,
बालाजी दीवाना तेरा,
बावला सा हो गया।।
तेरे नाम बिन कुछ ना भाए,
कई कई दिन हों जयां रोटी खांए,
पर बालाजी तुम ना आए,
मैं रावला सा हो गया,
बाला जी दीवाना तेरा,
बावला सा हो गया।।
बणया चुरमा देशी घी में,
मन हो राजी जब तुं जीमे,
दस किलो की लाया पीपी,
आँवला सा हो गया,
बाला जी दीवाना तेरा,
बावला सा हो गया।।
‘कप्तान शर्मा’ बालक याणा,
रहता इश्माईला हरियाणा,
तन्नै बुलावः सौदा सिराणा,
उतावला सा हो गया,
बाला जी दीवाना तेरा,
बावला सा हो गया।।
बाला जी दीवाना तेरा,
बावला सा हो गया।।
गायक – नरेन्द्र कौशिक।
भजन प्रेषक – राकेश कुमार जी,
खरक जाटान(रोहतक)
( 9992976579 )
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
