- – यह गीत बाला (बालाजी या हनुमान जी) के उत्सव और उनकी सुंदरता का वर्णन करता है, जिसमें उनकी सूरत को मतवाली और मनमोहक बताया गया है।
- – गीत में बाला के हाथ में घोटा, लाल लंगोटा और सिंदूर चढ़े होने का उल्लेख है, जो उनकी दिव्यता और शक्ति को दर्शाता है।
- – उत्सव के दौरान सभी लोग खुशी से झूमते हैं और बाला की जय-जयकार करते हैं, जिससे माहौल उल्लासपूर्ण बन जाता है।
- – राम नाम की धुन में बाला का अमर और अजर गाथा गाई जाती है, जो उनकी महानता और भक्तों के प्रति उनकी कृपा को दर्शाती है।
- – गीत में अंजनी के लाला (हनुमान जी) की महिमा का गुणगान किया गया है और उनके भक्तों की भक्ति भावनाओं को उजागर किया गया है।
- – लक्खा सिंह और बनवारी बलहारी जैसे भक्तों का भी उल्लेख है, जो बाला के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम व्यक्त करते हैं।

बाला सा थाने कोण सजाया जी,
म्हारे मनड़ो हर लीनो,
थारी सूरत मतवारी।।
श्लोक – उत्सव आप को आ गयो,
खूब सज्यो शृंगार,
वीर बजरंगी मैं आपकी,
लेउँ नज़र उतार।
बाला सा थाने कोण सजाया जी,
म्हारे मनड़ो हर लीनो,
थारी सूरत मतवारी,
म्हारे मनड़ो हर लीनो,
थारी सूरत मतवारी।।
थारे हाथ में घोटा,
लाल लंगोटा जी,
थारे लाल सिंदूर चढ़े,
थे देव हो बलकारी,
बाला सा थाने कुण सजाया जी,
म्हारे मनड़ो हर लीनो,
थारी सूरत मतवारी।।
थारा उत्सव आया,
मन हरषाया जी,
सब झूम झूम नाचे,
जय बोले है थारी,
बाला सा थाने कुण सजाया जी,
म्हारे मनड़ो हर लीनो,
थारी सूरत मतवारी।।
थे राम नाम की,
धुन में मतवाला जी,
है अजर अमर गाथा,
है माया अजब थारी,
बाला सा थाने कुण सजाया जी,
म्हारे मनड़ो हर लीनो,
थारी सूरत मतवारी।।
माला को तोड़ा,
सीने ने चिर दीयो,
हो अंजनी के लाला,
जय हो जय हो थारी,
बाला सा थाने कुण सजाया जी,
म्हारे मनड़ो हर लीनो,
थारी सूरत मतवारी।।
‘लक्खा सिंह’ थारा,
लाड लड़ावे जी,
थारी सूरत पे बाबा,
‘बनवारी’ बलहारी,
बाला सा थाने कुण सजाया जी,
म्हारे मनड़ो हर लीनो,
थारी सूरत मतवारी।।
बाला सा थाने कोण सजाया जी,
म्हारे मनड़ो हर लीनो,
थारी सूरत मतवारी,
म्हारे मनड़ो हर लीनो,
थारी सूरत मतवारी।।
