- – यह भजन माँ के प्रति गहरी भक्ति और प्रेम को दर्शाता है, जिसमें बार-बार माँ के आने की प्रार्थना की गई है।
- – भजन में सांसारिक वस्तुओं की बजाय माँ की दया और आशीर्वाद की कामना की गई है।
- – लेखक माँ से अपनी सेवा और भक्ति का वादा करता है और उनके आने का इंतजार करता है।
- – यह भजन श्रद्धालुओं को माँ के प्रति सच्चे मन से अरदास करने और उनकी कृपा पाने की प्रेरणा देता है।
- – भजन के माध्यम से आत्मा की शांति और माँ के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना व्यक्त की गई है।
बस यही अरदास माँ,
हर बार करता हूँ,
मेरे घर भी आओ माँ,
इँतजार करता हूँ।।
तर्ज – बस यही अपराध में।
कैसे देखूँ तुमको मइया,
मै इन आँखो से,
जी नही भरता मेरा,
दुनिया की बातो से,
ध्यान करुँगा मैया मै,
इकरार करता हूँ,
मेरे घर भी आओ माँ,
इँतजार करता हूँ।।
न माँगू मै हीरे मोती,
न दौलत और माया,
मेरे सिर पर सदा रहे माँ,
तेरी दया का साया,
अपना सब कुछ तुम पे माँ,
बलिहार करता हूँ,
मेरे घर भी आओ माँ,
इँतजार करता हूँ।।
करना चाहो माँ जो मुझपे,
यह दया करदो,
भक्ती रूपी दौलत से,
झोली मेरी भरदो,
हर पल तेरी सेवा करूँ,
ये वादा करता हूँ,
मेरे घर भी आओ माँ,
इँतजार करता हूँ।।
बस यही अरदास माँ,,
हर बार करता हूँ,
मेरे घर भी आओ माँ,
इँतजार करता हूँ।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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