- – जीवन में भटकाव का कारण मोह-माया और सांसारिक वस्तुओं में उलझना है।
- – भटकाव से मुक्ति पाने के लिए प्रभु या शिव की शरण में जाना आवश्यक है।
- – भक्ति और सुमिरन से जीवन संवरता है और खुशहाली आती है।
- – भटकते रहने से दुख और कष्ट मिलते हैं, इसलिए मन को बदलना जरूरी है।
- – भक्ति पथ से भटकना प्रभु की कृपा खोने जैसा है, इसलिए सतर्क रहना चाहिए।
भटकता डोले काहे प्राणी,
भटकता डोले काहे प्राणी,
चला आ प्रभु की तू शरण मे,
संवर जाएगी ये जिंदगानी,
भटकता डोले काहे प्राणी।।
भटकता डोले काहे प्राणि,
भटकता है क्यों मोह माया मे,
ये काया तेरी आनी जानी,
भटकता डोले काहे प्राणी।।
भटकता डोले काहे प्राणि,
भटकना तेरा भक्ति पथ से,
तुझे प्रभु कृपा की है हानि,
भटकता डोले काहे प्राणी।।
भटकता डोले काहे प्राणि,
भटकने वाले दुख पाते है,
अगर बदले मन मे नादानी
भटकता डोले काहे प्राणी।।
भटकता डोले काहे प्राणि,
करो नित सुमिरन राम का रे,
रहे तेरे जीवन मे खुशहाली,
भटकता डोले काहे प्राणी।।
भटकता डोले काहे प्राणि,
चला आ शिव की तू शरण में,
संवर जाएगी ये जिंदगानी,
भटकता डोले काहे प्राणी।।