- – यह दोहा बापजी (संभवतः एक आध्यात्मिक गुरु या देवता) की महिमा और उनके प्रति भक्तों की आस्था को दर्शाता है।
- – बापजी को सभी दुखों और कष्टों को मिटाने वाला, सच्चा दाता और सभी के लिए समान समझा गया है।
- – कलयुग की कठिनाइयों में भी बापजी भक्तों का सहारा बनते हैं और उन्हें मोक्ष (बेड़ो पार) दिलाने का वचन देते हैं।
- – बापजी ने पाप मिटाने और उपकार करने का काम किया है, जिसे तुलसी ने अपनी आरजू के माध्यम से स्वीकार किया है।
- – यह दोहा भक्तों को बापजी के द्वार पर आकर उनसे सहायता और आशीर्वाद लेने का संदेश देता है।
- – लेखक रोशनस्वामी तुलसी और गायिका महक मीर द्वारा प्रस्तुत यह रचना आध्यात्मिक भक्ति और समर्पण की भावना को प्रकट करती है।

सगळी दुनिया छोड़ बापजी,
दोहा – रुणेचा रा रामदेव,
थांसु भगत करे पुकार,
कलयुग छायो करूर बापजी,
करिजयो बेड़ो पार।।
सगळी दुनिया छोड़ बापजी,
आया थारे द्वार,
करदयो करदयो बापजी,
भगतां रो बेड़ो पार।।
सगळी दुनिया सयुं है न्यारो,
बाबे रो दरबार,
ऊंच नीच रो भेद मिटावै,
साचो है दातार,
करदयो करदयो बापजी,
भगतां रो बेड़ो पार।।
दीन दुखी रा कष्ट मिटावै,
अजमल घर अवतार,
माँ मैना रा लाल बापजी,
नेतल रा भरतार,
करदयो करदयो बापजी,
भगतां रो बेड़ो पार।।
कलयुग माही परचा भारी,
साँची है सकलाई,
द्वारका रा नाथ विराजे,
धाम रुणेचा माही,
करदयो करदयो बापजी,
भगतां रो बेड़ो पार।।
पाप मिटायो इन धरती रो,
कीन्हो थे उपकार,
‘तुलसी’ री या अर्ज बाप जी,
करज्यो थे स्वीकार,
करदयो करदयो बापजी,
भगतां रो बेड़ो पार।।
सगळी दुनिया छोड़ बापजी,
आया थारे द्वार,
करदयो करदयो बापजी,
भगतां रो बेड़ो पार।।
लेखक – रोशनस्वामी तुलसी
9610473172,9887339360
गायिका – महक मीर
