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- – यह कविता भगवान के चरणों में विनम्रता और भक्ति भाव व्यक्त करती है।
- – कवि स्वयं को एक भिक्षुक मानकर प्रभु से आशीर्वाद और कृपा की प्रार्थना करता है।
- – कविता में सेवा और भक्ति को सबसे बड़ा उपहार बताया गया है, जो वस्तुओं से परे है।
- – कवि अपनी भावनाओं को विनम्रता और सच्चाई के साथ प्रस्तुत करता है, मिठास की बजाय विनय का महत्व देता है।
- – आंसुओं और हार के माध्यम से अपनी भक्ति और समर्पण को दर्शाया गया है।
- – यह गीत श्रद्धा और प्रेम से भगवान को रिझाने की एक सरल लेकिन गहरी अभिव्यक्ति है।

भगवान तुम्हारे चरणों में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ,
वाणी मैं तनिक मिठास नही,
पर विनय सुनाने आया हूँ।।
तर्ज – दिल लूटने वाले जादूगर।
प्रभु का चरणामृत लेने को,
है पास मेरे कोई पात्र नही,
आँखो के दोनो प्यालो मैं,
कुछ भीख माँगने आया हूँ,
भगवान तुम्हारे चरणो में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ।।
तुमसे लेकर क्या भेंट धरू,
भगवान आप के चरणों में,
मैं भिक्षुक हूँ तुम दाता हो,
सम्बन्ध बताने आया हूँ,
भगवान तुम्हारे चरणो में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ।।
सेवा को कोई वस्तु नही,
फिर भी मेरा साहस देखो,
रो रो कर आज आँसुओ का,
मैं हार चढ़ाने आया हूँ,
भगवान तुम्हारे चरणो में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ।।
भगवान तुम्हारे चरणों में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ,
वाणी मैं तनिक मिठास नही,
पर विनय सुनाने आया हूँ।।
Singer : Santosh Upadhyay
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
