भैरवी वंदना in Hindi/Sanskrit
शिवा दुति स्वरूपेण हत दैत्य महाबले,
घोरा रुपे महा रावे भैरवी नमोस्तुते ।
लक्ष्मी लज्जे महा विद्ये श्रद्धे पुष्टि स्वधे ध्रुवे,
महा रात्रि महा विद्ये भैरवी नमोस्तुते ।
मेधे विद्या वरे भूति बभ्रवी महा काली,
नियति तवं प्रसि देशे भैरवी नमोस्तुते ।
सर्व स्वरूपे सर्व शक्ति समन्विते,
भये भ्या स्त्राही नो भैरवी नमोस्तुते ।
एतते मुखम सौम्यं नयना त्रया भूषितं,
पातु नाह भीति भ्यः भैरवी नमोस्तुते ।
Bhairavi Vandana in English
Shiva duti swaroopen hatha daitya mahabale,
Ghora rupe maha raave Bhairavi namostute.
Lakshmi lajje maha vidye shraddhe pushti swadhe dhruve,
Maha raatri maha vidye Bhairavi namostute.
Medhe vidya vare bhooti babhravi maha Kali,
Niyati tvam prasi deshe Bhairavi namostute.
Sarva swaroope sarva shakti samanvite,
Bhaye bhya straahi no Bhairavi namostute.
Etate mukham saumyam nayana traya bhushitam,
Paatu naha bheeti bhyah Bhairavi namostute.
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भैरवी वंदना का अर्थ
शिवा दुति स्वरूपेण हत दैत्य महाबले
शब्दार्थ:
- शिवा: पार्वती या देवी दुर्गा का एक स्वरूप।
- दुति स्वरूपेण: दूत के रूप में।
- हत दैत्य महाबले: महान बलशाली दैत्य का नाश करने वाली।
अर्थ:
इस पंक्ति में देवी भैरवी की प्रशंसा की जा रही है, जिन्हें शिवा (दुर्गा) के रूप में चित्रित किया गया है। यह कहा जा रहा है कि उन्होंने दूत (संदेशवाहक) के रूप में राक्षसों का नाश किया और उनका महान बल समाप्त कर दिया।
घोरा रुपे महा रावे भैरवी नमोस्तुते
शब्दार्थ:
- घोरा रुपे: भयंकर रूप में।
- महा रावे: महान गर्जना करने वाली।
अर्थ:
यह पंक्ति देवी भैरवी के उग्र और भयंकर रूप की ओर संकेत करती है, जो महान गर्जना करती हैं। इस स्वरूप में देवी सभी प्रकार की बुराइयों का नाश करती हैं। उन्हें नमन किया जाता है।
लक्ष्मी लज्जे महा विद्ये श्रद्धे पुष्टि स्वधे ध्रुवे
शब्दार्थ:
- लक्ष्मी: धन और समृद्धि की देवी।
- लज्जे: शील या मर्यादा।
- महा विद्ये: महान ज्ञान की देवी।
- श्रद्धे: श्रद्धा, आस्था।
- पुष्टि: समृद्धि, शक्ति।
- स्वधे: स्वधा, पूर्वजों के लिए की जाने वाली पवित्र क्रिया।
- ध्रुवे: ध्रुव, अटल और स्थिर।
अर्थ:
इस पंक्ति में देवी भैरवी को कई रूपों में पूजित किया गया है। उन्हें लक्ष्मी के रूप में, लज्जा (मर्यादा) के रूप में, महा विद्या (महान ज्ञान) के रूप में, श्रद्धा के रूप में, पुष्टि (समृद्धि) के रूप में और ध्रुव (अटलता) के रूप में वर्णित किया गया है। ये सभी गुण जीवन के संतुलन और शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
महा रात्रि महा विद्ये भैरवी नमोस्तुते
शब्दार्थ:
- महा रात्रि: महान रात (काली रात)।
- महा विद्ये: महान ज्ञान की देवी।
अर्थ:
देवी भैरवी को यहां महा रात्रि (अंधकार और विनाश की देवी) और महा विद्ये (महान ज्ञान) के रूप में वर्णित किया गया है। यह संकेत करता है कि वह अज्ञानता के अंधकार को समाप्त करती हैं और ज्ञान का प्रकाश फैलाती हैं।
मेधे विद्या वरे भूति बभ्रवी महा काली
शब्दार्थ:
- मेधे: बुद्धिमत्ता, ज्ञान।
- विद्या वरे: ज्ञान की श्रेष्ठता।
- भूति: समृद्धि।
- बभ्रवी: देवी दुर्गा का एक रूप।
- महा काली: काली, काल (समय) की अधिष्ठात्री देवी।
अर्थ:
इस पंक्ति में देवी भैरवी को बुद्धिमत्ता, ज्ञान, और समृद्धि की देवी के रूप में चित्रित किया गया है। उन्हें बभ्रवी और महाकाली के रूप में भी पुकारा गया है, जो समय और ब्रह्मांड के चक्र को नियंत्रित करती हैं।
नियति तवं प्रसि देशे भैरवी नमोस्तुते
शब्दार्थ:
- नियति: भाग्य या नियति।
- प्रसि: कृपा करना।
- देशे: इस लोक या स्थान पर।
अर्थ:
यहां देवी भैरवी को नियति (भाग्य) के रूप में पूजित किया गया है। भक्त उनसे कृपा की प्रार्थना करते हैं ताकि वे इस संसार में उनका मार्गदर्शन और सुरक्षा करें।
सर्व स्वरूपे सर्व शक्ति समन्विते
शब्दार्थ:
- सर्व स्वरूपे: सभी रूपों में।
- सर्व शक्ति समन्विते: सभी शक्तियों से युक्त।
अर्थ:
यह पंक्ति देवी भैरवी को सर्वव्यापक और सर्वशक्तिमान के रूप में पहचानती है। उन्हें हर रूप और हर शक्ति का समन्वयक माना गया है, जो सम्पूर्ण सृष्टि को चलाती हैं।
भये भ्या स्त्राही नो भैरवी नमोस्तुते
शब्दार्थ:
- भये भ्या: भय से।
- स्त्राही: रक्षा करना।
- नो: हमें।
अर्थ:
यहां भक्त देवी से प्रार्थना करते हैं कि वे भय और संकट से उनकी रक्षा करें। देवी भैरवी को नमन करते हुए उन्हें संकट मोचन के रूप में देखा गया है।
एतते मुखम सौम्यं नयना त्रया भूषितं
शब्दार्थ:
- एतते: यह।
- मुखम: मुख (चेहरा)।
- सौम्यं: शांत और सुंदर।
- नयना त्रया: तीन नेत्रों से सुशोभित।
अर्थ:
यह पंक्ति देवी भैरवी के सौम्य रूप की ओर संकेत करती है। उनके चेहरे पर सौम्यता है और वह तीन नेत्रों से सुशोभित हैं, जो उनकी दिव्यता और त्रिकालदर्शिता का प्रतीक है।
पातु नाह भीति भ्यः भैरवी नमोस्तुते
शब्दार्थ:
- पातु: रक्षा करना।
- नाह: हमें।
- भीति भ्यः: भय से।
अर्थ:
यहां भक्त देवी से प्रार्थना करते हैं कि वे सभी प्रकार के भय से उनकी रक्षा करें। देवी भैरवी को संकट निवारक और रक्षक के रूप में मान्यता दी गई है।