- – भजन में राधे और गोविंदा की भक्ति का आग्रह किया गया है, जो जीवन के सभी संकटों और भ्रमों से मुक्ति दिलाती है।
- – संसार की सारी चीजें और रिश्ते अस्थायी और झूठे हैं, केवल गोविंदा ही सच्चे और स्थायी साथी हैं।
- – जीवन में सुख-दुख दोनों आते हैं, लेकिन भेदभाव और परनिंदा से बचकर प्रेम और समभाव बनाए रखना चाहिए।
- – भक्ति और प्रेम के मार्ग पर चलना चाहिए, जैसे कबीर और मीरा ने अपने जीवन में अपनाया, जिससे पाप और कर्मों का बोझ कम होता है।
- – भजन में आत्मा को परिंदे से तुलना कर कहा गया है कि उसे मुक्त करने के लिए राधे-गोविंदा की भक्ति करनी चाहिए।

भज राधे गोविंदा रे पगले,
भज राधे गोविंदा रे,
तन परिंदे को छोड़ कही,
उड़ जाये ना प्राण परिंदा रे,
भज राधें गोविंदा रे पगले,
भज राधे गोविंदा रे।।
झूठी सारी दुनियादारी,
झूठा तेरा मेरा रे,
आज रुके कल चल देगा,
ये जोगी वाला फेरा रे,
सब साथी है झूठे जगत के,
सच्चा एक गोविंदा रे,
भज राधें गोविंदा रे पगले,
भज राधे गोविंदा रे।।
इस जीवन में सुख की कलियाँ,
और सभी दुःख के कांटें,
सुख में हर कोई हिस्सा मांगे,
कोई भी ना दुःख बांटे,
भेद भाव को छोड़ दे पगले,
मत कर तू परनिंदा रे,
भज राधें गोविंदा रे पगले,
भज राधे गोविंदा रे।।
इस चादर को बड़े जतन से,
ओढ़े दास कबीरा रे,
इसे पहन विष पान कर गई,
प्रेम दीवानी मीरा रे,
इस चादर को पाप करम से,
मत कर तू अब गन्दा रे,
भज राधें गोविंदा रे पगले,
भज राधे गोविंदा रे।।
भज राधे गोविंदा रे पगले,
भज राधे गोविंदा रे,
तन परिंदे को छोड़ कही,
उड़ जाये ना प्राण परिंदा रे,
भज राधें गोविंदा रे पगले,
भज राधे गोविंदा रे।।
Voice – Shri Chinmayanand Bapu Ji
प्रेषक – ऋषि कुमार विजयवर्गीय।
7000073009
