मुख्य बिंदु
- – मिथिला नगर में चारों दुलहों की सुंदरता और आकर्षण का बखान किया गया है।
- – दुलहों की शारीरिक सुंदरता जैसे काजल भरी आंखें, लाल चंदन से सजा माथा और मणि-मौरी की तुलना की गई है।
- – दुलहों की जोड़ी को बेमिसाल बताया गया है, जो श्यामल और गोरे रंग के हैं।
- – सभी उम्र के लोग दुलहों की सुंदरता देखकर मंत्रमुग्ध हो गए हैं।
- – जोगी-मुनि भी इन दुलहों को पाहुन बनकर मिथिला आए हैं, जो उनकी महानता दर्शाता है।
- – यह कविता मिथिला की सांस्कृतिक और पारंपरिक सुंदरता का उत्सव मनाती है।
भजन के बोल
आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया,
चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!
शिश मणी मौरिया, कुण्डल सोहे कनमा,
कारी कारी कजरारी जुलमी नयनमा,
लाल चंदन सोहे इनके भाल सखिया,
चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!
श्यामल-श्यामल, गोरे- गोरे, जोड़ीया जहान रे,
अँखिया ना देखनी सुनलीं ने कान हे
जुगे जुगे, जीबे जोड़ी बेमिसाल सखिया
चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!
गगन मगन आजु, मगन धरतिया,
देखि देखि दुलहा जी के, साँवर सुरतिया,
बाल वृद्ध, नर-नारी, सब बेहाल सखिया
चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!
जेकरा लागी जोगी मुनि, जप तप कईले,
से मोरा मिथिला में पाहुन बन के अईले
आजु लोढ़ा से सेदाई इनके गाल सखिया..
चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!