मुख्य बिंदु
- – यह गीत गणपति (गणनायक राजा) की आराधना और स्वागत का वर्णन करता है।
- – माँ साँचल और माँ गौरा के दरबार में गणपति का सच्चा और प्यारा स्थान बताया गया है।
- – रिद्धि-सिद्धि के साथ गणपति की पूजा और कीर्तन करने का आग्रह किया गया है।
- – भक्तजन लड्डू, मेवा, मिश्री से भोग लगाते हैं, जो अमृत समान है और उद्धार का माध्यम है।
- – गीत में भक्तों की खुशी और उत्सव का भाव प्रकट होता है, जिसमें नृत्य और रस बरसाने की बात कही गई है।
- – यह गीत गणपति उत्सव की भक्ति, प्रेम और आनंद की भावना को उजागर करता है।
भजन के बोल
आओ गणनायक राजा,
तेरी दरकार है,
देखो ये माँ साँचल का,
सच्चा दरबार है,
देखो ये माँ गौरा का,
प्यारा सा लाल है ॥
सबसे पहले तुम्हे मनाए,
रिद्धि सिद्धि संग आओ,
सभा बिच में आय विराजो,
कीर्तन सफल बनाओ,
सब मिल पहनाए तुझको,
पुष्पन के हार है,
देखो ये माँ गौरा का,
प्यारा सा लाल है ॥
लड्डू मेवा मिश्री का हम,
थाल सजाकर लाए,
रूचि रूचि भोग लगाओ देवा,
ये अमृत बन जाए,
जो इस अमृत को पाए,
उसका उद्धार है,
देखो ये माँ गौरा का,
प्यारा सा लाल है ॥
‘अमरचंद’ की विनय यही है,
जमके रस बरसाना,
तुम नाचो और हमें नचाओ,
ऐसा रंग जमाना,
‘बिन्नू’ ये भक्तजनों के,
दिल का उद्गार है,
देखो ये माँ गौरा का,
प्यारा सा लाल है ॥
आओ गणनायक राजा,
तेरी दरकार है,
देखो ये माँ साँचल का,
सच्चा दरबार है,
देखो ये माँ गौरा का,
प्यारा सा लाल है ॥