मुख्य बिंदु
- – गीत में भक्त अपनी भक्ति और प्रेम के माध्यम से भगवान श्याम सुंदर की दुल्हन बनने की इच्छा व्यक्त कर रही है।
- – मेहँदी लगाना, सुंदर सजना और सतगुरु के सामने फेरे लेना भक्ति की प्रतीकात्मक क्रियाएँ हैं।
- – दुल्हन बनने का अर्थ भक्ति में पूर्ण समर्पण और भगवान के साथ अटूट बंधन को दर्शाता है।
- – गीत में सखियों से सहायता मांगकर भक्ति की सुंदरता और उत्सव का भाव प्रकट किया गया है।
- – भक्ति को जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य मानते हुए, सांसारिक संबंधों को त्यागकर भगवान के प्रति निष्ठा जताई गई है।
भजन के बोल
ऐसे वर को क्या वरु,
जो जनमे और मर जाये,
वरीये गिरिधर लाल को,
चुड़लो अमर हो जाये ॥
आओ मेरी सखियो मुझे मेहँदी लगा दो,
मेहँदी लगा दो, मुझे सुन्दर सजा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ॥
सतसंग मे मेरी बात चलायी,
सतगुरु ने मेरी किनी सगाई,
उनको बोला के हथलेवा तो करा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ॥
ऐसी पहनी चूड़ी जो कबहू ना टूटे,
ऐसा वरु दूल्हा जो कबहू ना छूटे,
अटल सुहाग की बिंदिया लगा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ॥
भक्ति का सुरमा मैं आख मे लगाउंगी,
दुनिया से नाता तोड़ मैं उनकी हो जाउंगी,
सतगुरु को बुला के फेरे तो पडवा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ॥
बाँध के घुंघरू मै उनको रीझाऊंगी,
ले के इकतारा मै श्याम-श्याम गाऊँगी,
सतगुरु को बुला के बिदा तो करा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ॥
आओ मेरी सखियों मुझे मेहँदी लगा दो,
मेहँदी लगा दो, मुझे सुन्दर सजा दो,
मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो ॥