मुख्य बिंदु
- – नवरात्रि के पावन अवसर पर घर-घर में जागरण और भक्ति का माहौल होता है, जहां भक्त माता को रिझाने के लिए झूमते-गाते हैं।
- – भक्त माता के दर्शन के लिए नंगे पांव चलकर उनके दरबार में भेंट चढ़ाते हैं और माता से आशीर्वाद की कामना करते हैं।
- – माता का रूप कन्या के रूप में महामाया है, जो भक्तों के दुख मिटाती हैं और कन्याओं का सत्कार करती हैं।
- – वैष्णो माता की महिमा अत्यंत महान है, जो सभी चिंताएं दूर करती हैं और भक्तों के जीवन में खुशियाँ लाती हैं।
- – नवरात्रि के दौरान माता के दरबार सजाए जाते हैं और भक्तों की जय-जयकार से वातावरण गूंज उठता है।

भजन के बोल
आए मैया के नवराते,
हो रहे घर घर में,
हो रहे घर घर में जगराते,
रिझाते मैया को,
रिझाए मैया को झूमते गाते,
गूंज रही भक्तो की,
गूंज रही भक्तो की जय जयकार,
सजा है माता का,
सजा है माता का दरबार ॥
बुलावा जब जब भवन से आए,
भेज के चिठियाँ ओए,
भेज के चिठियाँ मात बुलाए,
नंगे पाओं ओए,
नंगे पाओं चलके जाएँ,
भेंटे लेके ओए,
भेंटे लेके खड़े है द्वार,
मैया दर्शन दो,
मैया दर्शन दो सिंह सवार ॥
माँ का कोई है पार ना पाया,
रूप धर कन्या का,
रूप धर कन्या का महामाया,
दुखड़ा भक्तो का,
दुखड़ा भक्तो का मात मिटाया,
करे कन्याओ का,
करे कन्याओ का जो सत्कार,
भवानी करती बेडा पार ॥
वैष्णो माँ की महिमा भारी,
हरेगी ‘लख्खा’ चिंताए सारी,
शेरोवाली की,
जोतावाली की,
मेहरावाली की,
अम्बे रानी की,
तारनहारी हारी माँ,
‘सरल’ चल चलिए ओय,
‘सरल’ चल चलिए ओय एक बार,
खुलेंगे खुशियों के,
खुलेंगे खुशियों के फिर द्वार ॥
आए मैया के नवराते,
हो रहे घर घर में,
हो रहे घर घर में जगराते,
रिझाते मैया को,
रिझाए मैया को झूमते गाते,
गूंज रही भक्तो की,
गूंज रही भक्तो की जय जयकार,
सजा है माता का,
सजा है माता का दरबार ॥
