मुख्य बिंदु
- – यह कविता फागण के त्यौहार की रंगीन और उल्लासपूर्ण भावना को दर्शाती है, जिसमें भक्त नाच-गाना करते हैं।
- – खाटू के श्याम बिहारी (भगवान कृष्ण) की भक्ति और उनके सुंदर रूप की प्रशंसा की गई है।
- – भक्तों की भक्ति और प्रेम की गहराई को उजागर करते हुए, त्यौहार में उनके उत्साह और समर्पण को दिखाया गया है।
- – होली के रंगों, गुलाल और चंग की धूमधाम के साथ सच्चे प्रेम का उत्सव मनाने का वर्णन है।
- – त्यौहार में दूर-दूर से भक्त आते हैं और भगवान के प्रति अपनी आस्था और प्रेम प्रकट करते हैं।
- – फागण के रंगीले माहौल में सांवरिया (भगवान कृष्ण) के सजने और भक्तों के आनंद का सुंदर चित्रण किया गया है।

भजन के बोल
आयो फागण को त्यौहार,
नाचे ठुमक ठुमक दातार,
सागे नाचे श्याम को लिलो,
छम छम भक्ता की भरमार,
आयो रंगीलो फागणियो,
सज के बैठ्यो है सांवरियो,
म्हारो लखदातार ॥
ज्यो फागण निडे आवे,
म्हाने कुछ भी नहीं सुहावे,
आंख्या में नींदड़ली घुल घुल बाबा,
पाछी ही उड़ जावे,
आयो रंगीलो फागणियो,
सज के बैठ्यो है सांवरियो,
म्हारो लखदातार ॥
इत्तर की खुशबु भारी,
खाटू का श्याम बिहारी,
तेरो रूप सलोनो देख सांवरा,
जाऊं मैं बलिहारी,
आयो रंगीलो फागणियो,
सज के बैठ्यो है सांवरियो,
म्हारो लखदातार ॥
सेवक दूर दूर से आवे,
फागण में रह नहीं पावे,
पाछा जाता मुड़ मुड़ देख थाने,
म्हारो मन घबरावे,
आयो रंगीलो फागणियो,
सज के बैठ्यो है सांवरियो,
म्हारो लखदातार ॥
कोई रंग गुलाल उड़ावे,
संग चंग धमाल मचावे,
माहि के संग होली खेल सांवरो,
सांचो प्रेम लुटावे,
आयो रंगीलो फागणियो,
सज के बैठ्यो है सांवरियो,
म्हारो लखदातार ॥
आयो फागण को त्यौहार,
नाचे ठुमक ठुमक दातार,
सागे नाचे श्याम को लिलो,
छम छम भक्ता की भरमार,
आयो रंगीलो फागणियो,
सज के बैठ्यो है सांवरियो,
म्हारो लखदातार ॥
