मुख्य बिंदु
- – यह भजन खाटू श्याम जी के मेले और उनकी भक्ति का वर्णन करता है, जो फागुन के महीने में मनाया जाता है।
- – भक्त रेशमी कपड़े और निशान लेकर खाटू धाम में बाबा श्याम के दर्शन के लिए आते हैं।
- – मेले में भक्त नाचते-गाते हैं और प्रेम व आनंद का अनुभव करते हैं।
- – खाटू नगरी में बाबा श्याम के विशाल दर्शन से भक्तों की आंखों में आंसू आ जाते हैं।
- – बाबा श्याम भक्तों को आशीर्वाद देते हैं और कहते हैं कि जो भी उनके भक्त होते हैं, उनकी किस्मत के ताले खुल जाते हैं।
- – यह भजन भक्तों में बाबा श्याम के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम को प्रकट करता है।

भजन के बोल
आयो फागणियो अलबेलो,
बाबा श्याम धणी को मेलो,
चाल्यो भगता को यो रेलो,
खाटू श्याम जी,
ओ खाटू धाम जी ॥
कपड़ो रेशम वालो ल्यायो,
खुद हाथा निशाण बणायो,
गोटो चारू मेर लगायो,
खाटू श्याम जी,
अन्तर छ्डक्यो निशाण के ऊपर,
फिर में ढोक दियो सर रखकर,
बांध्यो जोर से कमर के ऊपर,
यो निशान जी,
यो निशान जी,
आयो फागणियो अलबेलों,
बाबा श्याम धणी को मेलो,
चाल्यो भगता को यो रेलो,
खाटू श्याम जी,
ओ खाटू धाम जी ॥
ओ गेला माही ठाठ अनोखा,
खातिर करे भगत की चोखा,
तू भी क्यूं चूके ये मौका,
सारा नाचता कूदता आया,
सब प्रेमिया से प्रेम बढ़ाया,
मिलकर घणा ही आनन्द आया,
खाटू श्याम जी,
खाटू धाम जी ॥
पूरो खाटू नगरी घूम्यो,
मनडो म्हारो घणो ही झूम्यो,
जद मुं थारी चौखट चूम्यो,
खाटू श्याम जी,
थारा विशाल दर्शन पाया,
नैणा झर झर नीर बहाया,
इतना दिना में मैं क्यूं आया,
खाटू धाम जी,
आयो फागणियो अलबेलों,
बाबा श्याम धणी को मेलो,
चाल्यो भगता को यो रेलो,
खाटू श्याम जी,
ओ खाटू धाम जी ॥
दर्शण कर बाबा सू बोल्यो,
‘राजू’ जो भी श्याम को होल्यो,
थे किस्मत को तालों खोल्यो,
खाटू श्याम जी,
उकी घर करे यू रूखाली,
उको बण ज्या यो खुद हाली,
खाटू श्याम जी,
आयो फागणियो अलबेलों,
बाबा श्याम धणी को मेलो,
चाल्यो भगता को यो रेलो,
खाटू श्याम जी,
ओ खाटू श्याम जी ॥
आयो फागणियो अलबेलो,
बाबा श्याम धणी को मेलो,
चाल्यो भगता को यो रेलो,
खाटू श्याम जी,
ओ खाटू धाम जी ॥
