मुख्य बिंदु
- – गीत में माता अम्बे के प्रति भक्ति और प्रेम व्यक्त किया गया है।
- – सोने के आभूषण बनवाने के बावजूद माता को फूलों के आभूषण अधिक पसंद आते हैं।
- – यह दर्शाता है कि माता को प्राकृतिक और सरल चीजें अधिक प्रिय हैं।
- – बार-बार “अम्बे कहा जाये जगदम्बे कहा जाये” कहकर माता की महिमा का गुणगान किया गया है।
- – गीत में माता की इच्छाओं और पसंद को समझने का संदेश भी निहित है।

भजन के बोल
अम्बे कहा जाये जगदम्बे कहा जाये,
बोल मेरी मैया तुझे क्या कहा जाये ॥
मैंने सोने का टीका बनवाया,
मेरी मय्या को पसन्द नहीं आया,
उसे फूलों का टीका पसन्द आया,
अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए,
बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये ॥
मैंने सोने के कंगन बनवाये,
मय्या को पसन्द नहीं आये,
उसे फूलों के कंगन पसन्द आये,
अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए,
बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये ॥
मैंने सोने का हार बनवाया,
मइया को पसन्द नहीं आया,
उसे फूलों का हार पसन्द आया,
अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए,
बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये ॥
मैंने सोने की तगड़ी बनवायी,
मइया को पसन्द नहीं आयी,
उसे तो फूलों की तगड़ी पसन्द आयी,
अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए,
बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये ॥
अम्बे कहा जाये जगदम्बे कहा जाये,
बोल मेरी मैया तुझे क्या कहा जाये ॥
