मुख्य बिंदु
- – यह गीत माँ अम्बे की भक्ति और उनके प्रति प्रेम को दर्शाता है।
- – भक्त पर्वत की चोटी पर स्थित माँ के धाम पर जाकर उन्हें मनाने का संकल्प लेते हैं।
- – दुनिया के काम छोड़कर केवल माँ की शरण में जाने और उनके चरणों में सब कुछ समर्पित करने की भावना व्यक्त की गई है।
- – लाल चुनरिया और ध्वजा लेकर माँ के जयकारे लगाने का उत्साह दिखाया गया है।
- – भक्त माँ से वरदान पाने के लिए उनकी शरण में झुकते हैं और आशीर्वाद की कामना करते हैं।
- – पूरे गीत में माँ अम्बे के प्रति गहरी भक्ति और उत्साह का भाव प्रमुख है।

भजन के बोल
अम्बे के हम है दीवाने,
चले माँ को मनाने,
माँ को मनाने चले,
माँ को मनाने,
माता के दर्शन पाने,
चले माँ के दीवाने,
अम्बे के हम हैं दिवाने,
चले माँ को मनाने ॥
पर्वत की चोटी पे डेरा है डाला,
सारे जहाँ से ये धाम निराला,
झूमें नाचे गाएं चले माँ को मनाने,
अम्बे के हम हैं दिवाने,
चले माँ को मनाने ॥
छोड़ के दुनिया के काम ये सारे,
माँ की शरण जाएं माँ के दुलारे,
चरणों में सबकुछ लुटाने,
चले माँ को मनाने,
अम्बे के हम हैं दिवाने,
चले माँ को मनाने ॥
लाल चुनरिया गले में है डाली,
हाथों में लाल ध्वजा देखो है प्यारी,
जयकारा माँ का लगाने,
चले माँ को मनाने,
अम्बे के हम हैं दिवाने,
चले माँ को मनाने ॥
आँचल पकड़ कोई माँ को मनाए,
झोली फैलाके कोई शीश झुकाएं,
वरदान मैया से पाने,
चले माँ को मनाने,
अम्बे के हम हैं दिवाने,
चले माँ को मनाने ॥
अम्बे के हम है दीवाने,
चले माँ को मनाने,
माँ को मनाने चले,
माँ को मनाने,
माता के दर्शन पाने,
चले माँ के दीवाने,
अम्बे के हम हैं दिवाने,
चले माँ को मनाने ॥
