मुख्य बिंदु
- – यह गीत माँ के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना व्यक्त करता है, जहाँ सभी संसार को छोड़कर केवल माँ की शरण में आने की बात कही गई है।
- – माँ को भोली, करुणामयी और प्यारी स्वरूप में दर्शाया गया है, जो सभी की मनोकामनाएँ पूरी करती हैं।
- – गीत में माँ के शेरोवाली रूप का वर्णन है, जो उनके भवन की शोभा बढ़ाता है और गंगा की धरा उनके चरणों से जुड़ी है।
- – भक्त माँ को विभिन्न प्रकार के भेंट चढ़ाते हैं, जैसे सुआ चोला, चुनरी, सोने का छतर और मुंदरी, पर माँ के लिए कोई बड़ा या छोटा भेंट मायने नहीं रखता।
- – माँ की करुणा सभी पर समान रूप से बरसती है और वह अपने चरणों को सभी भक्तों के लिए दास बनाती हैं।
- – यह गीत माँ की शरण में आने और उनकी रक्षा में रहने का आग्रह करता है, जिससे भक्तों को शांति और सुरक्षा मिलती है।

भजन के बोल
छोड़ के सारे जग को आये,
तेरी शरण में माँ,
अपनी शरण में रखलो माँ,
अपनी शरण में रखलो मां,
मेरी माँ मेरी माँ,
भोली माँ मेरी माँ ॥
शेरोवाली मैया तेरे,
भवन की शोभा न्यारी,
बीच गुफा में बैठी मैया,
लगती प्यारी प्यारी,
गंगा की धरा बहती है,
तेरे चरण में माँ,
अपनी शरण में रखलो मां,
अपनी शरण में रखलो मां,
मेरी माँ मेरी माँ,
भोली माँ मेरी माँ ॥
कोई चढ़ावे सुआ चोला,
कोई चढ़ावे चुनरी,
सोने का कोई छतर चढ़ावे,
कोई चढ़ावे मुंदरी,
ना छोटा ना बड़ा है,
कोई तेरी नज़र में माँ,
अपनी शरण में रखलो मां,
अपनी शरण में रखलो मां,
मेरी माँ मेरी माँ,
भोली माँ मेरी माँ ॥
शेरोवाली मैया मेरी,
सब पे करुणा करती,
जो भी आये मनसा लेकर,
मनसा पूरी करती,
‘चंद्र’ को भी अपने चरणों का,
दास बना लो माँ,
अपनी शरण में रखलो मां,
अपनी शरण में रखलो मां,
मेरी माँ मेरी माँ,
भोली माँ मेरी माँ ॥
छोड़ के सारे जग को आये,
तेरी शरण में माँ,
अपनी शरण में रखलो माँ,
अपनी शरण में रखलो मां,
मेरी माँ मेरी माँ,
भोली माँ मेरी माँ ॥
