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मुख्य बिंदु
- – गीत में माखन की चोरी को छोड़ने की बात कही गई है, जो कृष्ण की बाल लीलाओं का प्रतीक है।
- – गीत में कान्हैया (कृष्ण) की माखन चोरी की आदत को समझाने की कोशिश की जा रही है।
- – बाबा के पास लाखों गायें हैं, इसलिए माखन की कमी नहीं है, फिर भी माखन चोरी की बात चलती है।
- – बरसाने से सगाई और चर्चा का जिक्र है, जो कृष्ण और राधा की प्रेम कथा से जुड़ा हुआ है।
- – बड़े घर की राजदुलारी का नाम भी गीत में आता है, जो राधा या किसी महत्वपूर्ण महिला का संकेत हो सकता है।
- – गीत में प्रेम, माखन चोरी और कृष्ण की बाल लीलाओं को मिलाकर एक पारंपरिक और सांस्कृतिक भाव व्यक्त किया गया है।

भजन के बोल
अरे माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय,
मैं समझाऊँ तोय,
कन्हैया मैं समझाऊँ तोय,
अरें माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय ॥
नव लख धेनु तेरे बाबा के,
नव लख धेनु तेरे बाबा के,
नित नयो माखन होय,
अरें माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय ॥
कमी नाही तेरे काहू की,
कमी नाही तेरे काहू की,
हँसी हमारी होय,
अरें माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय ॥
बरसाने ते तेरी होय सगाई,
बरसाने ते तेरी होय सगाई,
नित प्रति चर्चा होय,
अरें माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय ॥
बड़े घरन की राजदुलारी,
बड़े घरन की राजदुलारी,
नाम धरेंगी तोय,
अरें माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय ॥
अरे माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय,
मैं समझाऊँ तोय,
कन्हैया मैं समझाऊँ तोय,
अरें माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय ॥
भजन वीडियो
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
