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मुख्य बिंदु
- – यह कविता माँ के प्रति श्रद्धा और भक्ति को दर्शाती है, जिसमें पुत्र माँ से आशीर्वाद और दर्शन की प्रार्थना करता है।
- – पुत्र माँ से अपने जीवन की कठिनाइयों और दुखों को दूर करने की विनती करता है और माँ की ममता और करुणा की महिमा गाता है।
- – कविता में यह भाव प्रकट होता है कि पुत्र को किसी भौतिक वस्तु की लालसा नहीं, बल्कि माँ के प्रेम और आशीर्वाद की आवश्यकता है।
- – माँ के बिना जीवन अधूरा और कठिन है, इसलिए पुत्र माँ से मिलने और उनके साथ रहने की इच्छा व्यक्त करता है।
- – यह रचना माँ के प्रति गहरी श्रद्धा, प्रेम और आत्मीयता का प्रतीक है, जो जीवन के हर संकट में आश्रय का स्रोत है।

भजन के बोल
बाट सजेने छि। आसन लगेने छी ।
आबु पधारु हे माँ ।
बैसल छी भोरे स। कानै छी ओरे स ।
कोरा उठाबु है माँ ॥
बाट सजेने छी ॥
सबहक बिपदा आहाँ हरै छी ।
हम्मर निवेदन किये नै सुनै छी ।
कोन गल्ती स आहाँ रसल छी ।
देखु न अम्बे हम कतेक कनै छी ।
अहि के पूजलौ अहि स पूछै छी ।
आहाँ छोइर जेबे हम कहाँ ।
बाट सजेने छी ॥
महिमा आहाँ के। केनै जानइये ।
घुइर के आबू माँ बेटा कनइये ।
ममता मई आहाँ पाथर ने बनियो ।
कटते कोना दिन माँ किछु करियो ।
कतेक कनाबै छी किये ने आबै छी ।
निसठुर नै बनियो आहाँ ।
बाट सजेने छी ॥
हम नै मँगे छि भरल बखारी ।
चाही ने हमरा बंगला आ गाड़ी ।
मोन के मंदिर में बॉस करू माँ ।
भक्त क पूरन आस करू माँ ।
रामेंद्र लिखै ये। प्यासा गबइये ।
दरसन देखाबू हे माँ
बाट सजेने छी। आसन लगेने छी ।
आबु पधारु हे माँ ॥
भजन वीडियो
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
