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मुख्य बिंदु
- – गीत में भगवान राम से देर से मदद मांगने की व्यथा व्यक्त की गई है।
- – कवि राम को दया के सागर बताते हुए भी उनकी अनुपस्थिति पर सवाल उठाता है।
- – कवि की पीड़ा और निराशा जीवन की कठिनाइयों के बीच गहराती है।
- – बार-बार “बड़ी देर भई” कहकर इंतजार और तड़प को दर्शाया गया है।
- – यह गीत भक्ति और मानव की आशा तथा निराशा के बीच के संघर्ष को उजागर करता है।

भजन के बोल
बड़ी देर भई, बड़ी देर भई,
कब लोगे खबर मोरे राम,
बड़ी देर भई,
कहते हैं तुम हो दया के सागर,
फिर क्यूँ खाली मेरी गागर,
झूमें झुके कभी ना बरसे,
कैसे हो तुम घनश्याम ,
हे राम, हे राम
बड़ी देर भई, बड़ी देर भई,
॥ कब लोगे खबर…॥
सुनके जो बहरे बन जाओगे ,
आप ही छलिया कह लाओगे,
मेरी बात बने ना बने ,
हो जाओगे तुम बदनाम,
हे राम, हे राम
बड़ी देर भई, बड़ी देर भई,
॥ कब लोगे खबर…॥
चलते-चलते मेरे पग हारे,
आई जीवन की शाम ,
कब लोगे खबर मोरे राम,
हे राम, हे राम
बड़ी देर भई, बड़ी देर भई,
कब लोगे खबर मोरे राम,
बड़ी देर भई,
भजन वीडियो
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