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मुख्य बिंदु
- – भक्त बालाजी के चरणों में अपनी भक्ति और प्रेम व्यक्त करता है।
- – वह प्रभु के चरणामृत को पाने के लिए योग्य नहीं मानता खुद को।
- – भक्त अपने आँसुओं को हार के रूप में भेंट चढ़ाने आया है।
- – वह स्वयं को सेवक और बालाजी को दाता मानता है।
- – सेवा के लिए कोई भौतिक वस्तु नहीं है, फिर भी भक्त का साहस और समर्पण प्रगट होता है।
- – पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ बालाजी को रिझाने की इच्छा व्यक्त की गई है।

भजन के बोल
बालाजी तुम्हारे चरणों में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
प्रभु का चरणामृत लेने को,
है पास मेरे कोई पात्र नहीं,
प्रभु का चरणामृत लेने को,
है पास मेरे कोई पात्र नहीं,
आँखों के दोनों प्यालों से,
कुछ भीख मांगने आया हूँ,
बाला जी तुम्हारे चरणो में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
तुमसे लेकर क्या भेंट धरूँ,
बालाजी तुम्हारे चरणो में,
तुमसे लेकर क्या भेंट धरूँ,
बालाजी तुम्हारे चरणो में,
मैं सेवक हूँ तुम दाता हो,
संबंध बताने आया हूँ,
बाला जी तुम्हारे चरणो में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
सेवा की कोई वस्तु नहीं,
फिर भी मेरा साहस देखो,
सेवा की कोई वस्तु नहीं,
फिर भी मेरा साहस देखो,
रो रो कर आज आंसुओ का,
मैं हार चढाने आया हूँ,
बाला जी तुम्हारे चरणो में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
बालाजी तुम्हारे चरणों में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
भजन वीडियो
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
