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मुख्य बिंदु
- – जीवन अस्थायी है, इंसान का कोई स्थायी ठिकाना नहीं होता।
- – बचपन बीत जाता है, जवानी ढलती है और अंततः बुढ़ापा आता है, जिससे मन उदास होता है।
- – कर्मों का फल मिलता है, जैसा किया वैसा भरा जाता है, यह गीता में भी लिखा है।
- – मोह और ममता से मन को हटाना चाहिए क्योंकि दुनिया की चीजें स्थायी नहीं हैं।
- – इस दुनिया में सब कुछ अस्थायी है, खाली हाथ आया है और खाली हाथ ही जाना है।
- – सिमरन और भक्ति से ही मुक्ति और सच्चा सहारा मिलता है।

भजन के बोल
बन्दे तेरा रे नही रे ठिकाना,
एक ना एक रोज,
पडे़गा तुझे जाना रे,
बन्दें तेरा रे नहीं रे ठिकाना ॥
बीत गया बचपन ढली रे जवानी,
आया रे बुढ़ापा देख रोया रे प्राणी,
बदल गया रे सब होके पुराना रे,
बन्दें तेरा रे नहीं रे ठिकाना ॥
जैसा करा है तुने वैसा ही भरा है,
गीता के पन्नो में ये सब लिखा है,
मोह ममता से मन को हटाना रे,
बन्दें तेरा रे नहीं रे ठिकाना ॥
दुनिया को कहते हो ये सब हमारे,
साथ जाये ना तेरे महल चोबारे,
खाली आया जग में खाली हाथ जाना रे,
बन्दें तेरा रे नहीं रे ठिकाना ॥
राव राजेंदर
मन में विचारा,
दिन बन्धु दीनानाथ एक है सहारा,
सिमरन करके मुक्ति को पाना रे,
बन्दें तेरा रे नहीं रे ठिकाना ॥
* BhaktiBharat Lyrics
बन्दे तेरा रे नही रे ठिकाना,
एक ना एक रोज,
पडे़गा तुझे जाना रे,
बन्दें तेरा रे नहीं रे ठिकाना ॥
भजन वीडियो
अस्वीकरण (Disclaimer) : नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर HinduismFAQ में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'HinduismFAQ' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
