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भजन: बाँधु जिसपे राखी, वो कलाई चाहिए – Bhajan: Bandhu jispe Rakhi wo Kalai chahiye – Hinduism FAQ

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मुख्य बिंदु

  • – यह कविता बहन और भाई के रिश्ते की गहराई और महत्व को दर्शाती है, जहाँ बहन को एक स्नेही और समर्पित भाई की आवश्यकता होती है।
  • – बहन राखी के त्योहार पर भाई से अपने प्यार और सुरक्षा की उम्मीद करती है, जो उसके जीवन में खुशियाँ और सुरक्षा लाता है।
  • – बहन का मन भाई के बिना अधूरा महसूस करता है, जैसे दीपक बिना तेल और बाती के अधूरा होता है।
  • – कविता में माँ से प्रार्थना की गई है कि वह बहन की यह इच्छा पूरी करे और उसे एक भाई दे जो उसके दुख-सुख में साथ दे।
  • – राखी के त्योहार पर बहन की भावनाएँ और उसकी आशाएँ स्पष्ट होती हैं, जिसमें भाई के साथ जीवन के हर सुख-दुख को बांटने की चाह शामिल है।
  • – अंत में, बहन अपने भाई के प्रति स्नेह और सम्मान व्यक्त करती है, जो उसके जीवन का आधार और शक्ति है।

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भजन के बोल

बाँधु जिसपे राखी,
वो कलाई चाहिए,
बहना कहने वाला,
एक भाई चाहिए,
माँ पूरी मेरी आस कर,
खड़ी मैं कब से तेरे दर ॥
हिरे मोती सोना चांदी,
मांगू कब माँ,
बंगले की गाडी की भी,
कोई चाह ना,
सुना सुना लगे जग,
भाई के बिना,
आँख हो जैसे रोशनाई के बिना,
दीपक हूँ मैं तेल बाती के बगैर,
डाल दो माँ झोली में,
मुरादो वाली खैर,
सारी दुनिया ना,
ना खुदाई चाहिए,
बहना कहने वाला,
एक भाई चाहिए,
माँ पूरी मेरी आस कर,
खड़ी मैं कब से तेरे दर ॥
जब जब राखी का,
त्यौहार आए माँ,
अँखियों में मेरे आंसू,
भर आए माँ,
बात नहीं मैया कुछ,
मेरे बस की,
लाख रोकू रुक नहीं,
पाती सिसकी,
हर सिसकी ने यही,
शिकवा किया,
मैया तूने काहे एक,
भाई ना दिया,
सिसकियों की होनी,
सुनवाई चाहिए,
बहना कहने वाला,
एक भाई चाहिए,
माँ पूरी मेरी आस कर,
खड़ी मैं कब से तेरे दर ॥
दुःख सुख बांटे जो,
सरल स्वभाव हो,
पूरा मेरे मन का,
हर चाव हो,
देख देख मुखड़ा मैं,
वारि जाउंगी,
बाधूंगी राखी मैं,
टिका लगाऊंगी,
होगी जब शादी,
फूली ना समाऊँगी,
गाउंगी मैं घोड़ियां,
शगन मनाऊंगी,
गाने को ‘लख्खा’,
बस बधाई चाहिए,
बहना कहने वाला,
एक भाई चाहिए,
माँ पूरी मेरी आस कर,
खड़ी मैं कब से तेरे दर ॥
बाँधु जिसपे राखी,
वो कलाई चाहिए,
बहना कहने वाला,
एक भाई चाहिए,
माँ पूरी मेरी आस कर,
खड़ी मैं कब से तेरे दर ॥

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