मुख्य बिंदु
- – गीत में एक भक्त बंजारन की यात्रा और भक्ति भाव का वर्णन है, जो भोलेनाथ के प्रति समर्पित है।
- – भक्त ने बैजनाथ, विश्वनाथ सहित कई ज्योतिर्लिंगों का दर्शन किया और आशीर्वाद प्राप्त किया।
- – देश के विभिन्न शहरों और गांवों में भोलेनाथ के भक्तों की श्रद्धा और भक्ति का जिक्र है।
- – कावड़ यात्रा और गंगाजल चढ़ाने की परंपरा का महत्त्व बताया गया है।
- – भक्त अपने बाबा के चरणों में आशीर्वाद पाने की कामना करता है और भक्ति गीत गाने की इच्छा व्यक्त करता है।
- – समग्र रूप से यह गीत भोलेनाथ की भक्ति, यात्रा और श्रद्धा का उत्सव है।

भजन के बोल
बंजारन मैं बंजारन,
भोले तेरी बंजारन,
बैजनाथ मैं गई,
विश्वनाथ भी गई,
दर्शन करके धन्य हुई,
अब दीवानी हो गई,
रे जोगिया,
बंजारन मैं बंजारन,
भोले तेरी बंजारन ॥
अविनाशी हे कैलाशी,
रामेश्वर हो या काशी,
द्वादश ज्योतिर्लिंग घूमी,
फिर भी ये अखियाँ प्यासी,
काश्मीर, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई,
नगर-नगर और गाँव-गाँव में,
तेरे रूप कई रे जोगिया,
बंजारन मैं बंजारन,
भोलें तेरी बंजारन ॥
श्रद्धा से कावड़ लेकर,
लाखों कावड़िये आते,
तेरी जयनाद बोलते,
गंगाजल तुम्हे चढ़ाते,
देख बाबरी भई,
जनवरी हो या मई,
भक्तो का अम्बार लगा तेरे,
नाचू ता था थई रे जोगिया,
बंजारन मैं बंजारन,
भोलें तेरी बंजारन ॥
चरणों में अपने बाबा,
मुझको भी दे दो छैया,
त्रिपुरारी दृष्टि कर दो,
चल जाए मेरी नैया,
उमा लहरी है नई,
और कॉम्पिटिशन कई,
आशीर्वाद अगर मिल जाए,
गाऊं गीत कई, रे जोगिया,
बंजारन मैं बंजारन,
भोलें तेरी बंजारन ॥
बंजारन मैं बंजारन,
भोले तेरी बंजारन,
बैजनाथ मैं गई,
विश्वनाथ भी गई,
दर्शन करके धन्य हुई,
अब दीवानी हो गई,
रे जोगिया,
बंजारन मैं बंजारन,
भोले तेरी बंजारन ॥
