मुख्य बिंदु
- – यह गीत भगवान कृष्ण (बंसी वाले) के प्रति गहरी भक्ति और समर्पण को दर्शाता है।
- – भक्त अपने आप को भगवान के चरणों में समर्पित करता है और उनसे जुड़ने की खुशी को शब्दों में व्यक्त करता है।
- – भक्ति में खुदाई या बादशाही की चाह नहीं, केवल भगवान के दरबार की गुलामी और सेवा ही सबसे बड़ी सौगात मानी गई है।
- – गीत में भगवान कृष्ण को गोविन्द, गोपाल और श्री बांके बिहारी नंदलाल के रूप में पुकारा गया है, जो उनकी विभिन्न रूपों की महत्ता को दर्शाता है।
- – यह भक्ति गीत प्रेम, समर्पण और आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति कराता है, जहाँ भक्त का मन केवल भगवान के साथ जुड़ने में लगा रहता है।

भजन के बोल
बंसी वाले के चरणों में, सर हो मेरा,
फिर ना पूछो, कि उस वक्त क्या बात है ।
उनके द्वारे पे डाला है जब से डेरा,
फिर ना पूछो कि कैसी मुलाकात है ॥
यह ना चाहूँ की, मुझ को खुदाई मिले,
यह ना चाहु, मुझे बादशाही मिले ।
ख़ाक दर की मिले ये मुकद्दर मेरा,
इससे बढ़कर बताओ क्या सौगात है ॥
बंसी वाले के चरणों में, सर हो मेरा,
फिर ना पूछो, कि उस वक्त क्या बात है ।
उनके द्वारे पे डाला है जब से डेरा,
फिर ना पूछो कि कैसी मुलाकात है ॥
हो गुलामी अगर आले दरबार की,
ये खुदाई भी है बादशाही भी है ।
दासी दर की भिखारिन बने जिस वक्त,
इससे बढकर बताओ की क्या बात है ॥
बंसी वाले के चरणों में, सर हो मेरा,
फिर ना पूछो, कि उस वक्त क्या बात है ।
उनके द्वारे पे डाला है जब से डेरा,
फिर ना पूछो कि कैसी मुलाकात है ॥
गोविन्द मेरो है गोपाल मेरो है ।
श्री बांके बिहारी नंदलाल मेरो है ॥
बंसी वाले के चरणों में, सर हो मेरा,
फिर ना पूछो, कि उस वक्त क्या बात है ।
उनके द्वारे पे डाला है जब से डेरा,
फिर ना पूछो कि कैसी मुलाकात है ॥
